खुदा बनके आ
गॉड बनके तू आ
आके प्रभु तू दरस दिखा।
कहां है तू विधाता मेरे
मन से मेरे सारे पर्दे हटा
खुदा बनके आ
गॉड बनके तू आ
आके हृदय में समा जा
आजा प्रभू , आके हमें
कर्तव्य पथ पे आगे बढ़ा
खुदा बनके आ
गॉड बनके तू आ
आके प्रभु तू दरस दिखा।
आजा प्रभू वो पथ दिखा
चलके जिसपे मैं जीतू जहां
सच्चाई से, अच्छाई से
लूं मैं जग में सबको अपना बना।
मन को मेरे निर्मल बना
दिल को मेरे तू मंदिर बना
आके प्रभु तू दरस दिखा
खुदा बनके आ
गॉड बनके तू आ
आके प्रभु तू दरस दिखा।
प्यार से हम दुनिया बदले
अपनेपन से मिटा दें हमले
भक्ति का मन में तू ज्योत जला
मुझे तू आके खुद से मिला।
खुदा बनके आ
गॉड बनके तू आ
आके प्रभु तू दरस दिखा।।
परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैlशिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl