वक़्त की हथेली से कहाँ कुछ छुप पाया है…,
कह रही है हाथ की रेखा सब-कुछ एक माया है…l
दुनिया की इस भीड़ में कहाँ निकल आए हम…,
अपनों को पराया करके ढूंढते हैं साए हम…l
माँ कहा करती थी बेटा मेरा खरा सोना है…,
क्या भरोसे की बात करुं,उसे खुद ही छीना मैं…l
जब भरोसे की बात करुं…,
आँखें शर्म से झुक जाती है…l
कोई इसे कहता शीशा…,
कोई कहता कच्ची डोर है…l
शीशा बन टूटा तो बिखर जाएंगे…,
डोर बन टूटा तो गांठ पड़ जाएंगे…ll
#अमित मिश्रा
परिचय : अमित मिश्रा की जन्मतिथि-७ जनवरी १९८९ तथा जन्म स्थान-आबादपुर,जिला-कटिहार(बिहार)हैl आप वर्तमान में जयपुर विमानतल के समीप सीआईएसएफ इकाई(प्रताप नगर)में रहते हैंl श्री मिश्रा बिहार राज्य के शहर बरसोई से होकर बी.ए.(ऑनर्स)तक शिक्षित हैंl आपका कार्यक्षेत्र-सीआईएसएफ ही हैl हिंदी लेखन के शौकीन अमित जी की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल,कविता सहित कथा,लघुकथा एवं मुक्तक हैl आपके लेखन का उद्देश्य मन के भावों को उकेरना हैl