(महिला सशक्तिकरण की भावना पर)
उस तृण की ताकत सिद्ध तो कर,
उठ…उठ! सीता अब युद्ध तो कर।
तब गिद्ध ने रक्षण की सोची,
अब गिद्ध ने देह तेरी नोची।
हिम्मत न अपनी हार के चल,
उस पापी का प्रतिकार तो करl
हे सीता अब लाचार न बन,
अपने शत्रु का संहार तू कर।
लंका में तब एक रावण था,
हर तरफ आज वो दुष्ट बसा।
उस तिनके को हथियार बना,
न डर सीता तलवार उठा।
गर फिर आए वो बन भिक्षु,
नख से नोचन लेना चक्षु।
नाजुक न इस बार तू बन,
वध उसका कर तलवार को चुन।
नारी का शोषणकर्ताओं का,
भूतल से अब व्यभिचार मिटाl
जन उद्धार की खातिर दुष्टों का,
उठ…उठ सीता तू पाप मिटा।
कुदृष्टि डालते रावण को अब,
शक्ति स्वरूपा रूप दिखा।
कोमल ना अब कोई सीता है,
तू नर को ये अहसास दिला।
तब हनुमान ने मात कहा तुझको,
तू बोल आज हनुमान कहाँ।
लक्ष्मण रेखा की लाज को रख,
खुद की रक्षक तू आप ही बन।
न अग्नि परीक्षा दे सीता,
न वसुधा में जान समा सीताl
सतीत्व अपना सिद्ध न कर, उठ…उठ! सीता अब युद्ध तो करll
#सुनीता बिश्नोलिया
परिचय : सुनीता पति राजेंद्र प्रसाद बिश्नोलिया का स्थाई निवास चित्रकूट,जयपुर(राजस्थान)में है। ५जनवरी १९७४ को सीकर(राजस्थान) में जन्मीं सुनीता जी की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड.है। आप अध्यापिका के रुप में डिफेन्स पब्लिक स्कूल(जयपुर)में कार्यरत हैं। साथ ही विद्यालय से प्रकाशित पत्रिका की सम्पादिका भी हैं। आपके खाते में २ साझा काव्य संग्रह प्रकाशनाधीन हैं,जबकि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। सामाजिक क्षेत्र में आपने चंडीगढ़ में ५ वर्ष तक बाल श्रमिकों को पढ़ाया एवं मुख्यधारा से जोड़ाl ऐसा ही कार्य यहाँ भी बाल श्रम एवं शोषण मुक्त भारत हेतु जारी हैl आपके लेखन की विधा में गद्य-पद्य(कविताएँ-मुक्तक,यदा-कदा छन्दबद्ध)दोनों ही शामिल हैं तो लघुकथा,संस्मरण, निबन्ध,लघु नाटिकाएँ भी रचती हैंl सम्मान में आपको नारी सेवी सम्मान,उत्कृष्ट लेखिका सम्मान तथा अन्य संस्थाओं की तरफ से कई बार सर्वश्रेष्ठ लेखन हेतु पुरस्कृत किया गया हैl ब्लॉग पर भी अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करती रहती हैंl उपलब्धि यह है कि,दसवीं कक्षा का १०० प्रतिशत परिणाम देने हेतु मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रशस्ति-पत्र,विभिन्न विद्यालयों में होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिताओं,लघु नाटिकाओं व अन्य आयोजनों हेतु छात्रों को विशेष तैयारी करवाना,अधिकांशत: प्रथम पुरस्कार एवं कई बार निर्णायक मंडल में भी शामिल रहना हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-अपने ह्रदय में उठती भावनाओं के ज्वार को छुपाने में अक्षम हूँ,इसलिए जो देखती हूँ जो ह्रदय पर प्रभाव डालता है उसे लिखकर मानसिक वेदना से मुक्ति पा लेती हूँl लिखना मात्र शौक ही नहीं,वरन स्वयं अपनी लेखनी से लोगों को गलत के विरुद्ध खड़े होने का संदेश भी देना चाहती हूँ।