उलझी जिंदगी

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ramalaxmi
सवालों के जंगल में खो गई है ज़िन्दगी।
उम्मीद के सैलाब में बह गई है ज़िन्दगी॥
बेबस  है हर कोई,मंज़िल न मालूम।
मुसाफिर बन के,रह गई है ज़िन्दगी॥
हर सुबह लेती है,जन्म एक नई ख्वाहिश।
न जाने कैसे-कैसे खवाब,सजाती है ज़िन्दगी॥
कभी खुशनुमा कभी,गमगीन आई  मंज़िलें।
सुकून के इंतज़ार में,कट रही है ज़िन्दगी॥
सुख-चैन के सेहरा में,खो गया वजूद  कहीं।
खुद अपनी ही तलाश में,कट रही है ज़िन्दगी॥
दोस्त तो ईश्वर है,और दोस्त के लिए वक़्त नहीं।
रिश्तों के ताने-बाने में,उलझ कर रह गई है ज़िन्दगी॥
#एम.डी.यस.रामालक्ष्मी
परिचय:एम.डी.यस.रामालक्ष्मी की जन्मतिथि-२३-९-१९७९ तथा जन्म स्थान-विशाखापटनम(आँध्रप्रदेश)है। शिक्षा-एम.ए. और एम.फिल.(दोनों हिन्दी),डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन और डिप्लोमा इन कम्प्यूटर्स है। आपका वर्तमान निवास क़तार में और स्थाई निवास-रेडक्रॉस स्ट्रीट गाँधी नगर (काकीनाडा,आंध्राप्रदेश)में है। आपकी लेखन विधा-कविता,मुक्तक है। सोशल मीडिया के विभिन समूह सहित समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। आपको सम्मान के रुप में ‘मुक्तक भूषण’ मिला है। लेखन का उदेश्य-आत्म संतृप्ति है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।