इतना करो न प्यार मुझे,
खोने का तमको डर लगता है।
हो जाऊँगा फिर मैं तन्हां,
दिल को ऐसा अक्सर लगता हैll
एक अकेला आशिक़ ये दिल,
ढूंढेगा तुझको फिर किन गलियों में।
रह जाऊंगा फिर मैं तन्हां,
तेरी ही यादों की गलियों मेंll
इतना करो न प्यार मुझे,
खोने का तुमको डर लगता है।
हो जाऊँगा फिर मैं तन्हां,
दिल को ऐसा अक्सर लगता हैll
रूह तो निकल गई,
पर एक सांस अभी बाकी है।
तुम तो चले गए,
पर एक आस अभी बाकी हैll
डूबा हूँ अश्क़-ए-आस में,
पर एक प्यास अभी बाक़ी है।
जल गए सारे अरमां,
पर एक लाश अभी बाक़ी हैll
थक गए सारे लम्हें,
पर एक इंतज़ार अभी बाक़ी है।
भूल गया सारे चेहरे,
पर एक रुख़सार अभी बाक़ी हैll
थम गईं बारिश की बूंदें,
थोड़ी फ़ुहार अभी बाकी है।
तेरे दिल में दबा ही सही,
पर थोड़ा प्यार अभी बाकी हैll
जो मिले थे ख़्वाबों में हम पिछली शब,
उनका एहसास अभी बाकी है।
जो पिए था मैंने वो दो नाज़ुक लब,
उनकी मिठास अभी बाक़ी हैll
साथ बिताई हर वो घड़ी,
मेरे साथ अभी बाक़ी है।
तुम्हारी दी सुर्ख़ गुलाब की,
एक पँखुड़ी मेरे पास अभी बाक़ी हैll
रूह तो निकल गई,
पर एक सांस अभी बाकी है।
तुम तो चले गए पर,
एक प्यास अभी बाक़ी हैll
#मोहम्मद शाह हुसैन
परिचय : मोहम्मद शाह हुसैन की जन्मतिथि-१८ जून १९९४ और जन्म स्थान-गोड्डा शहर हैl राज्य झारखण्ड से नाता रखने वाले मोहम्मद हुसैन की शिक्षा-अभियांत्रिकी(विद्युत) और कार्यक्षेत्र-व्यापार हैl नवोदित कवि के रूप में आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी रचनाएं लिखना और निरन्तर सीखना हैl