आस अभी बाकी है…

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mo shah husain
इतना करो न प्यार मुझे,
खोने का तमको डर लगता है।
हो जाऊँगा फिर मैं तन्हां,
दिल को ऐसा अक्सर लगता हैll

एक अकेला आशिक़ ये दिल,
ढूंढेगा तुझको फिर किन गलियों में।
रह जाऊंगा फिर मैं तन्हां,
तेरी ही यादों की गलियों मेंll

इतना करो न प्यार मुझे,
खोने का तुमको डर लगता है।
हो जाऊँगा फिर मैं तन्हां,
दिल को ऐसा अक्सर लगता हैll

रूह तो निकल गई,
पर एक सांस अभी बाकी है।
तुम तो चले गए,
पर एक आस अभी बाकी हैll

डूबा हूँ अश्क़-ए-आस में,
पर एक प्यास अभी बाक़ी है।
जल गए सारे अरमां,
पर एक लाश अभी बाक़ी हैll

थक गए सारे लम्हें,
पर एक इंतज़ार अभी बाक़ी है।
भूल गया सारे चेहरे,
पर एक रुख़सार अभी बाक़ी हैll

थम गईं बारिश की बूंदें,
थोड़ी फ़ुहार अभी बाकी है।
तेरे दिल में दबा ही सही,
पर थोड़ा प्यार अभी बाकी हैll

जो मिले थे ख़्वाबों में हम पिछली शब,
उनका एहसास अभी बाकी है।
जो पिए था मैंने वो दो नाज़ुक लब,
उनकी मिठास अभी बाक़ी हैll

साथ बिताई हर वो घड़ी,
मेरे साथ अभी बाक़ी है।
तुम्हारी दी सुर्ख़ गुलाब की,
एक पँखुड़ी मेरे पास अभी बाक़ी हैll

रूह तो निकल गई,
पर एक सांस अभी बाकी है।
तुम तो चले गए पर,
एक प्यास अभी बाक़ी हैll

#मोहम्मद शाह हुसैन

परिचय : मोहम्मद शाह हुसैन की जन्मतिथि-१८ जून १९९४ और जन्म स्थान-गोड्डा शहर हैl राज्य झारखण्ड से नाता रखने वाले मोहम्मद हुसैन की शिक्षा-अभियांत्रिकी(विद्युत) और कार्यक्षेत्र-व्यापार हैl नवोदित कवि के रूप में आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी रचनाएं लिखना और निरन्तर सीखना हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।