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नटखट बंदर चला बजार,
मम्मी से लेकर रुपए चार।
मिठाई देख मन ललचाया,
झटपट करने लगा सड़क पार॥
लाल रोशनी थी देख न पाया,
टक्कर मार गई एक कार।
गिरा बीच सड़क पर धड़ाम,
करने लगा हाय राम…राम॥
बच्चों तुम भी रहो होशियार,
जब भी करो सड़क को पार।
दाएं-बाएं देखो,संकेतक देखो,
फिर करो तुम सड़क को पार॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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