ढूंढाड़ी क्षेत्रीय परम्परा
व भाषा मे बाल विवाह
न करने की प्रेरणा देने
वाली रचना
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आइ रे आइ रे आखा तीज,
लाडू पुड़ी मिठाई….. चीज।
टाबर ब्याह का बुवगा बीज,
आइ रे आइ रे.आखा तीज।
बापू ल्यायो नई कमीज,
चढ़ बा बरबादी दहलीज।
कैवे बाप आपणै टाबर नै,
बेटा चाल ढोक बा मंदर मै।
जीमण टैन्ट व्यवस्था भारी,
बेटा फेरा खाबा की छै बारी,
आई रे आई रे आखा तीज,
लाडू पुड़ी मिठाई…..चीज।
टाबर उठ कर मुँह खोल्यो,
अपणै बापू सू यूँ बोल्यो।
बापू भूख नहीं अब मोकूँ,
थोड़ो पानी पिलवा द् यो।
अर फेरा थे .. ही खाल्यो,
मोकू….. सो.. ले बा द् यो।
मोकू….. आवै गहरी नींद,
कोनी बणूँ मै ..।अब बींद।
टाबर .जाण्यो आखातीज,
बापू .।ल्यायो खाबा चीज,
वो उठ कर मूंडा नै.. धोयो,
पूरो पतो पड्यो तो बोल्यो।
बापू म्हानै पढबा लिखबा दै,
चोखो …मिनख ..बण बा दै।
थारा किंया हिया की फूटी,
बचपन क्यूँ बांधै बापू खूंटी।
मोकूँ आई नहीं हाल तमीज,
आई रे आई रे आखा तीज।
देख ऊ कान्या…. मान्या नै,
देख मगन्या अर छगन्या नै।
वै आप रै करमा नै रोवै,
जमारो बिरथा जनम खोवै।
मोपै थोड़ो बापू सो पसीज,
आई रे आई रे आखा तीज।
टाबर पणै ब्याह की रीत,
बापू मत पाल़ै ऐड़ी प्रीत।
करदै पढबा की तजबीज,
आइ रे आइ रे आखातीज।
फेरूँ आवैगी आखा तीज,
खावाँ लाडू बरफी ..चीज।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः