सच की ओर

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sunil choure
एक मित्र ने कहा,
आपको बोलने हेतु
मन में एक बात जगी है,
जाकेट में ऐसे लगते हो
जैसे-जाकेट हेंगर पर टँगी है।
आपको देखो तो जादू होता है,
खड़ा रहता सामने तुम
पण दिखाई नी देता है,
कमाल का चेचिस है तुम्हारा
जित देखो तित से,
एक साँचे में दिखे प्यारा
कुछ लेते क्यों नी ?
मैं बोला,
लेने के लिए क्या बचा है ?
झूठ-फरेब का बाजार सजा है।
सच तड़पता रहता है
लोग लेते मजा हैं।
खाने की चीजों में मिलावट है,
शानो-शौकत की दावत में भी,
चौसर की जमावट है।
रोता पैदा होता है,
उफ़ !
हंसी में भी उसकी बनावट है,
किसको कैसे पहचानें
सभी की सूरत रंगी है,
सोचता बहुत हूँ,
इसलिए ऐसा लगता हूँ,
जैसे जाकेट हेंगर पर टँगी है।
कैसे निभाएं नाते-रिश्ते,
कुटिलता के दुष्चक्र में पिसते
किसी दूषित गैस की तरह ‘रिस’ते,
बढ़ता विद्रोह रिश्तों में
ले विस्फोटक रूप टूट जाते हैं,
बस अपने कहीं,
दूर बहुत दूर,छूट जाते हैं
हो सके तो रिश्तों को जोड़िए,
वरना,छोड़ छदमता-कुटिलता
समझोता कर रिश्तों को छोड़िए,
ताकि रिश्तों की इज्जत बनी रहे,
रिश्तों के प्रति रोष नहीं
दिलों में प्यार व आँखों में नमी रहे,
सुन यह रचना पीछे टँगे चित्र से
वे कह रही,
इन्हीं बातों की तो संसार में
आग लगी है,
इसीलिए तो ऐसे लगते आप,
जैसे जाकेट हेंगर पर टँगी है॥
                                                       #सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा 
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में  ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।