कैसे कह दूँ

0 0
Read Time2 Minute, 30 Second
shubanshu
त्याग तपस्या में तुम गुरुवर
 चतुर्थ काल पर भारी हो,
 कैसे कह दूँ विद्यासिंधु तुम
 पंचमयुग के अवतारी हो।
जिनवाणी भी कहती है
सहस्त्र वर्ष हो चौथा काल,
एक दिन हो पंचम काल
दोनों युग्म समानधारी हो।
कैसे कह दूं विद्यासिंधु तुम,
पँचमयुग के अवतारी हो।
इतने उपवासों की तृषा को सहना
कषाय काय को घिसते रहना,
आदिनाथ सम उत्कृष्ट तपधारी हो।
कैसे कह दूं विद्यासिंधु तुम,
पँचमयुग के अवतारी हो।
यूँ घंटों-घंटों ध्यान करना
मध्यम काठी दुबले तन का,
होने पर भी बाहुबली
सम बलधारी हो।
कैसे कह दूं विद्यासिन्धु तुम,
पंचमयुग के अवतारी हो।
घोर उपद्रव तुम पर आते
 रोग कमठ बन तुम्हें सताते,
पार्श्वनाथ बन तुम उन्हें हराते
अतिशीघ्र शिवपुर के अधिकारी हो।
कैसे कह दूं विद्या सिंधु तुम,
पँचमयुग के अवतारी हो॥
 #शुभांशु जैन
परिचय : शुभांशु जैन मध्यप्रदेश से हैं। लेखन में उपनाम-शुभ लगाते हैं। आपकी जन्मतिथि-२८ मई १९९५ तथा जन्म स्थान-शहपुरा भिटौनी(जिला जबलपुर) है। निवास राज्य-मध्यप्रदेश के शहर-जबलपुर में ही है। बी.ई. सहित पीजीडीसीए की शिक्षा ली है,तो पत्रकारिता की पढ़ाई जारी है। आपका कार्यक्षेत्र-मंच संचालक,लेखक,कवि और वक्ता के रुप में है। सम्मान के रुप में युवा मंत्रालय द्वारा नेहरू गांधी भाषण स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार(जिला स्तरीय)प्राप्त किया है। आपके लेखन का उद्देश्य-परम् पूज्य आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी की धर्म प्रभावना के साथ साथ गुम होते हुए संस्कारों को युवा पीढ़ी में पुनः स्थापित करना है। साथ ही अपनी मातृभाषा,संस्कृति,शिक्षा,देश आदि के प्रति अपने कर्तव्य निभाने के लिए सबको प्रेरित करना भी है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दोनों के भीतर

Wed Nov 22 , 2017
भीतर-भीतर झांका मैंने, अरमानों की डोली को टूटा-टूटा पाया मैंने। रिश्तों में एक प्यार का रिश्ता हिस्सों में बांटा मैंने, सूना-सूना आखों का मंज़र मन खंडहर-सा होते देखा मैंने। खोखली मुस्कानों में क्रंदन को, छुपते देखा मैंने। साथ होकर साथ न होना, आना और आकर जाना वो दर्द दोनों के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।