पंद्रह सौ लगाकर,मेहनत कर
कितना कमा पाता है,
यह देश का किसान है नूतन
कितना बचा पाता है ?
फ़सल के लिए कर्ज लेकर
ब्याज भी नहीं चुका पाता है, यह देश का किसान है नूतन
हज़ार लगाकर पांच सौ भी
नहीं कमा पाता हैl
गर्मी में खूब पसीना बहाता
सर्दी में ठिठुर के मर जाता है,
यह देश का किसान है नूतन
दो वक्त की तरकारी भी नहीं खा पाता हैl
दो जोड़ी नए कपड़े बनवाने में
खर्चे का बार-बार सोचता है,
यह देश का किसान है नूतन
फटे कपड़ों में हर मौसम जी लेता हैl
छोले-राज़मा का स्वाद भी
इन्हें पता तक नहीं होता है,
यह देश का किसान है नूतन
सूखी रोटी और चटनी भी खा लेता हैl
पिज़्जा,बर्गर और मोमोस का
नाम तक नहीं जानता है,
यह देश का किसान है नूतन
जो इन्हें बनाने की सामग्री उगाता हैl
नेता आते हैं दिलासे दे जाते हैं
राजनीति कर वोट कमाते हैं,
यह देश का किसान है नूतन
गरीबी में जन्मा गरीबी में मर जाता हैl
गरीब अमीर,अमीर गरीब बन जाते हैं
ये वो हैं जो वहीं के वहीं रह जाते हैं,
यह देश का गरीब किसान है नूतन
दुर्दशा कैसी हो,हर हाल में मुस्कुराते हैंl
खुद भूखे सो जाएं मगर
पशुओं को तीन बार खिलाते हैं,
ये देश के त्यागी किसान हैं नूतन
एक बाप का फर्ज निभाते हैंll
#जयति जैन (नूतन)
परिचय: जयति जैन (नूतन) की जन्मतिथि-१ जनवरी १९९२ तथा जन्म स्थान-रानीपुर(झांसी-उ.प्र.) हैl आपकी शिक्षा-डी.फार्मा,बी.फार्मा और एम.फार्मा है,इसलिए फार्मासिस्ट का कार्यक्षेत्र हैl साथ ही लेखन में भी सक्रिय हैंl उत्तर प्रदेशके रानीपुर(झांसी) में ही आपका निवास हैl लेख,कविता,दोहे एवं कहानी लिखती हैं तो ब्लॉग पर भी बात रखती हैंl सामाज़िक मुद्दों पर दैनिक-साप्ताहिक अखबारों के साथ ही ई-वेबसाइट पर भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl सम्मान के रुप में आपको रचनाकार प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत `श्रेष्ठ नवोदित रचनाकार` से समानित किया गया हैl अपनी बेबाकी व स्वतंत्र लेखन(३०० से ज्यादा प्रकाशन)को ही आप उपलब्धि मानती हैंl लेखन का उद्देश्य-समाज में सकारात्मक बदलाव लाना हैl
बहुत सुंदर