पूछ रही हूं मेरी माँ मैं तुझसे, बस तू ये मुझको बता दे!
क्यो फेंका मुझे कूड़ेदान में, अब मुझको तू ये जता दे!!
9 महीने तक रखा पेट में, फिर ऐसी क्या मजबूरी थी!
नही चाहिए थी बेटी तुझको, तो क्या पैदा करनी जरूरी थी!!
क्या तेरी कोख में पली नही, या मैं तेरे खून से बनी नही!
क्यों हुई तू इतनी लाचार, क्या मैं हाड़ माँस से सनी नही!!
क्यों किया तूने गर्भ धारण, जब तू मेरी रक्षा ना कर पायी!
क्यों मिला तुझे माँ बनने का हक, क्यो तूने ये बेटी जायी!!
एहसानमंद हूं मैं उसकी, जिसने मेरा जीवन बचाया है!
रखा अनाथाश्रम या सुधारगृह में, मेरा जीवन सजाया है!!
होती होंगी माँ अच्छी, पर मेरा दिल तो ये नही मानता!
फेंक दिया जिसने जन्म देकर, मेरा दिल यही जानता!!
फट जाए शरीर ऐसी नारी का, ना कर पाए गर्भ धारण!
पैदा करके जो पाल ना पाए, बता “मलिक” ऐसा कारण!!
होते थे पहले पूत कपूत, पर अब माता कुमाता हो गयी!
कलियुग में आकर के देखो, ये माँ कहने का हक खो गयी!!
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।