मन क्यों हुआ यूँ विचलित,
ये कैसी हैं बेचैनी ?
कौन हूँ मैं,क्या कहूँ खुद को,
पूछा जब ये सवाल खुद से..
तो अंतर्मन मेरा बोल पड़ा,
है अज्ञानी, ज्ञान नहीं है।
साहित्य की अभी पहचान नहीं है,
अ ब स से होगी शुरुआत,
करो दॄढ़ खुद को,
हो जाओ अब तैयार।
अब जाना है पाठशाला मुझको,
जहाँ सीख सकूँ मैं भी कुछ..
एक सीप भर भी पा गई,
तो समंदर का हिस्सा बन जाउंगी।
#कल्पना भट्ट
परिचय : पेशे से शिक्षिका श्रीमती कल्पना भट्ट फिलहाल भोपाल (मध्य प्रदेश ) की निवासी हैं। 1966 में आपका जन्म हुआ और आपने अपनी पढ़ाई पुणे यूनिवर्सिटी से 1984 में बी.कॉम. के रुप में की। विवाह उपरांत भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से बी. एड.और एम.ए.(अंग्रेजी) के साथ एलएलबी भी किया है। आप लेखन में शौकिया तरीके से निरंतर सक्रिय हैं।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मेरी रचना को आपने स्थान दिया । सादर ।
सकारात्मक ऊर्जा देती सुंदर कविता …