राही आगे बढ़ जाना है, सफर सुहाना है कब तक मनचाहा साथ मिला जब तक, दूर नजर फैलाकर दिखता यह सौभाग्य सदा नहीं मिलता, पर ऐसे में क्या? उचित रुक जाना है। राही…।
माना पथ आसान नहीं है,
रोड़ों की कोई थाह नहीं है
कंटक की पहचान नहीं है,
साथ कोई हमराह नहीं है
पर न सही रुक जाना है,
राही…।
सपने अब तक जो पाले हैं,
श्रम बिन्दु सींच सहलाएं हैं दूर क्षितिज पर लिखी सफलता, अन्तर में नित पढ़ते आए हैं मुमकिन नहीं उसे भूल जाना है राही…।
आगे बढ़ रख नजर लक्ष्य पर,
व्यर्थ न एक पल जाया कर
तू बन जा अपना ही संबल,
बढ़े आज तक जो अपने बल
इतिहास नया रच डाला है,
राही आगे बढ़ जाना है॥
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।