शिव में मात्रा…जीवन की है..
शिव ही तो है…खेंवईया,
शिव तांडव से…नृत्य कलाएं..
शिव डमरू से…स्वर-लहरियां॥
शिव से ही है…वशीकरण तो..
शिव से ही…उच्चाटन है,
शिव से ही है…सुंदरता तो..
शिव ही सत्य…सनातन है॥
शिव से ही…मानवता पलती..
शिव ही करते…रखवारी,
शिव कण्ठ में…गरल समाया..
शिव मस्तक पर…गंगझारी॥
शिव त्रिशूल पर…जगत है सारा..
शिव नयनों में…भोलापन,
शिव के मन में…राम बसे हैं..
शिव वचनों में…रामायण॥
शिव की गाथा है सबसे न्यारी…
शिव के हम सब आभारी,
शिव के चरणों में नतमस्तक..
शिव के ध्यान में नर-नारी॥
शिव ही भक्ति…शिव ही शक्ति..
शिव तो औघढ़…वरदानी भी,
शिव ॐकार है…शिव है अनादि..
शिव राम चरण…अनुगामी भी॥
शिव ने ज्यों ही…मात्रा हटाई..
शिव तो हो गए…शव के सामान,
शिव है जीवन…शव है मृत्यु..
शिव को जाने…सकल जहान॥
शिव के तीसरे…नेत्र में बसते..
शिव के आयुध…परमाणु,
शिव की भृकुटि…विलास में..
शिव से रक्षित…जीवाणु॥
शिव श्रंगार में…भुजंग बिराजे..
शिव श्रंगार में…चिता भस्मी है,
शिव श्रंगार में…नरमुंड सजे तो..
शिव श्रंगार तो…बस रस्मी है॥
शिव ही गुणों में…सत,रज,तम है..
शिव ही प्रणव के सागर हैं,
शिव ही बिंदु…शिव ही सिंधु..
शिव ही तो नट नागर है॥
#कैलाशचंद्र सिंघल
परिचय: कैलाशचंद्र सिंघल का नाता मध्यप्रदेश से हैl आपकी जन्म तारीख- २० दिसम्बर १९५६ और जन्मस्थान-धामनोद(धार) हैl हायर सेकन्डरी तक शिक्षित श्री सिंघल का व्यवसाय(कॉटन ब्रोकर्स)हैl आप धामनोद में समाज की संस्थाओं से जुड़े हुए हैंl लेखन में आपकी विधा-हाइकु,तांका, गीत और पिरामिड हैl भोपाल से प्रकाशित समाचार-पत्र में कुछ रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। पिछले 30 वर्ष से लेखन में मगन श्री सिंघल की खासियत यह है कि,कवि सम्मेलनों का सफल आयोजन करते हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय और दिवंगत कवियों की रचनाओं को मंचों पर सस्वर उनके नाम से प्रस्तुत करना है,जिसका पारिश्रमिक नहीं लेते हैं।