कारवां न चले मेरे संग में तो क्या

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ashutosh kumar
कारवां न चले मेरे संग में तो क्या,
राह मेरी अकेले भी कट जाएगी।
पग में हैं भरे मेरे काँटें तो क्या,
चुन के उनको हटाना है आता मुझे।
ज़ख़्म सहकर मैं मुस्कुराता सदा,
दर्द जीना हमेशा सिखाता मुझे॥
देखकर मुश्किलें जो सहम जाऊँ मैं,
आ के नाकामी मुझसे लिपट जाएगी।
कारवाँ न चले मेरे संग में तो क्या,
राह मेरी अकेले भी कट जाएगी॥
मैं नहीं चाहता हूँ कि भौंरा बनूँ,
और कलियाँ मुझे अवरोधित करें।
बोलो फूलों से कैसे मैं लिपटा रहूँ ,
जबकि बिखरे हो हर ओर शोणित बहे ??
डर समाया जो अंतस में ऊँचाई का,
उड़ने से पहले हीं पाँखें कट जाएगी।
कारवां न चले मेरे संग में तो क्या,
राह मेरी अकेले भी कट जाएगी॥
मेरी चाहत है मैं वो दीया बन सकूँ,
सब अंधेरा मिटा दे जो संसार से।
दूँ पुन: एक उपहार दुनिया को मैं,
सबका आधार हो मेरे उपकार से॥
मैं जगत का गुरू फिर से कहलाऊँगा,
रात अंधेरी इक दिन ये छँट जाएगी।
कारवाँ न चले मेरे संग में तो क्या,
राह मेरी अकेले भी कट जाएगी॥
 #आशुतोष कुमार ‘विद्रोही’
परिचय:आशुतोष कुमार ‘विद्रोही’ का नाता शहर मुजफ्फरपुर(बिहार)से है। आपकी जन्मतिथि ४ मई २००२ और जन्मस्थान-मुज़फ्फरपुर है। वर्तमान में वर्ग १० में अध्ययनरत विद्रोही काव्य लेखन,गीत (वीर रस,श्रंगार रस) रचते हैं। आप सोशल मीडिया के मंच पर भी सक्रिय हैं। लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का उत्थान और आमजन कॊ देशहित की प्रेरणा देना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।