राष्ट्रभाषा हिन्दी पर गर्व करो

0 0
Read Time4 Minute, 3 Second

alka
प्राचीनकाल में जब किसी भी सार्वजनिक-धार्मिक स्थल में विभिन्न धर्म,सम्प्रदाय या क्षेत्र के लोग मिलते थे,तब संस्कृत या हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करते थेl तब कोई मजबूरी नहीं होती थी किसी अन्य विदेशी भाषा को अर्जित करने की,पर आज बहुत से लोग इंग्लिश भाषा की पैरवी करते हुए उसे एक बहुत समृद्ध और सशक्त भाषा कहते हैंl ज्ञान का भंडार भी उसमें ही मानते हैं जबकि,उसे समृद्धशाली इंग्लिश प्रेमियों द्वारा ही बनाया गया हैl इन प्रेमियों द्वारा ही हमारे समृद्ध ज्ञान के अनुवाद द्वारा ही कई बार डाका डालकर अपना ही साबित कर दिया गया। मैं कहती हूँ कि ज्ञान की कोई भाषा नहीं होती,बल्कि अपनी भाषा के माध्यम से जो ज्ञान अर्जित किया जाता है,वास्तव में वही सीखने में आसान होता है। अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण विद्वान् विद्यार्थी भी बेवकूफ़ों में शुमार कर दिए जाते हैं,और बहुत बार वे कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। इससे हश्र यह होता है कि,जबरन इंग्लिश माध्यम से अपने बच्चों को पढ़ाना तथा गौरवान्वित महसूस करना और कराना। हम चाहते तो ज्ञान को अनुवाद के माध्यम से समझकर भी और अधिक समृद्धशाली बन सकते हैं जबकि,हमारे पास अति समृद्धशाली ज्ञान का भण्डार पहले से ही मौजूद है,जिसको विदेशी भी अनुवाद के ही माध्यम से ही सीख रहे हैंl कई बार तो डाका डालकर हम पर ही अपना झूठा प्रभाव डालते हैं,और हम बेवकूफ़ों की तरह उनको परमज्ञानी मानकर उन्हें प्रतिष्ठा प्रदान कर रहे हैं। कृपया बताएं कि,हम किस क्षेत्र में कमजोर हैं..लगता है हनुमान जी की तरह हम भी शापित हैं,जो हमें अपनी हिन्दी भाषा की समृद्धि का भान नहीं है। अनुरोध यही है कि,जागो,अपनी भाषा पर गर्व करो और उसकी समृद्धि को जानोl

                                                      #अलका गुप्ता ‘भारती’

परिचय : श्रीमती अलका गुप्ता ‘भारती’ मेरठ (उ.प्र.) में रहती हैं। काव्यरस-सब रस या मिश्रण आपकी खूबी है।आप गृहिणी हैं और रुचि अच्छा साहित्य पढ़ने की है। शौकिया तौर पर या कहें स्वांत सुखाय हेतु कुछ लिखते रहने का प्रयास हमेशा बना रहता है। आपके पिता राजेश्वर प्रसाद गुप्ता शाहजहाँपुर में एक प्रतिष्ठित एडवोकेट थे तो माता श्रीमति लक्ष्मी गुप्ता समाजसेविका एवं आर्य समाजी विचारक प्रवक्ता हैं। पति अनिल गुप्ता व्यवसायी हैं। १९६२ में शाहजहाँपुर में ही आपका जन्म और वहीं शिक्षा ली है। एमए (हिन्दी और अर्थशास्त्र) एवं बीएड किया है। तमाम पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख एवं कविताएँ प्रकाशित होते हैं। पुस्तक-कस्तूरी कंचन,पुष्प गंधा नामक संकलन काव्य आदि प्रकाशित है। स्थानीय, क्षेत्रिय एवं साहित्यिक समूह से भी आपको सम्मान प्राप्त होते रहे हैं। ब्लॉग और फेस बुक सहित स्वतंत्र लेखन में आप सक्रिय हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हो तराने प्रीत के

Wed Sep 20 , 2017
हसरतें सब आपकी मौला करे फूले-फलें, हर कदम खुशियाँ तुम्हारी हमकदम बन कर चलें। इन लबों पर हो तराने प्रीत के,मनमीत के, ज़िन्दगानी के चमन में फूल खुशियों के खिलें। ज़िन्दगी में ज़िन्दगी,बस ज़िन्दगी की बात हो, शाम सिन्दूरी हमेशा,गुनगुनाती रात हो। है दुआ रब आपके हर ख्वाब को पूरा […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।