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हम वंशज हैं उस हिन्दू धर्मात्मा के,
जो मृत्यु के बाद भी पितरों कॊ जल चढ़ाते हैं।
और जीवित में ही नहीं, हम हिन्दू वरन
मरने के बाद भी पितृभक्ति का धर्म निभाते हैं।
कोई लाख उड़ाए उपहास सही, लेकिन,
ये उपहास हरगिज नहीं हमें डिगाते हैं।
करने को सेवा अपने माँ-बाबा की,
हम तो श्रवणकुमार तक बन जाते हैं।
पितृभक्ति में तो मेरे आराध्य प्रभु राम भी,
चौदह वर्ष को वन तक भी चले जाते हैं।
कारण यही है इस दुनिया में,केवल हम हिन्दू,
पितरों को हर वर्ष सेवाभाव से बुलाते हैं॥
#एड. नवीन बिलैया
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