हिंदी कहे मैं हूँ एक सागर,
मुझमें समाहित ज्ञान का गागर
अपनी माटी की खुशबू लिए मैं,
चलती रहूँ यूँ ही युग-युगान्तरl
सदियों से हिन्दी रही है,
भारतवर्ष की पहचान
हिन्दी हमारी मातृभाषा है,
रखें सदा हम इसका मानl
हिन्दी तो है अति सहज,
कोयल की मधुर वाणी
हिन्दी तो है जल की तरह,
शीतल,पावन और निर्मलl
पंछी की तरह उन्मुक्त,
हिन्दी भाषा के छांव तले
यूँ ही अपनेपन का दीप जले,
हिन्दी तो है हमारी राष्ट्रभाषाl
ये है हमारे देश का अभिमान,
चाहे हो प्रेमचंद की `गोदान`
या हो उनकी `प्रेम पच्चीसी`,
या फिर हो हरिवंश जी की
मधुशाला,मेरे हैं रूप अनेकl
हिन्दी है हमारे देश की शान,
हिन्दी से मिले संसार को
नवकल्पना और नवविचारों
से सम्मिलित अमृत ज्ञानl
सदियों से पूजनीय हिंदी,
हमारी धरा का है अभिमान
ये हमारे है देश की पहचान,
हिन्दी है ज्ञान की खानl
#विनीता चैल
परिचय : झारखंड राज्य से सम्बन्ध रखने वाली विनीता चैल की जन्मतिथि १५जनवरी १९७७ एवं जन्मस्थान-रामडीह है। आपने इतिहास विषय से स्नातक की पढ़ाई की है। कार्यक्षेत्र आपका परिवार ही है। वर्तमान में झारखण्ड के शहर बुंडू (रांची) में चौक बाजार में निवास है। लेखन आपकी पसंद का काम है। कुछ प्रतिष्ठित दैनिक अखबारों में आपकी रचना प्रकाशित हुई है। लेखन का उद्देश्य रुचि है।