यह प्रश्र सम्पूर्ण राष्ट्र के ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व के भविष्य निधि को तार-तार कर देंगे। क्योंकि खेती से लेकर बड़े-बड़े उद्योग बिना कामगारों के विफल हो जाते हैं।
जिस प्रकार परमाणु बम कोरोना विषाणु को मारने में असक्षम है। उसी प्रकार बिना परिश्रम के उद्योग-धन्धे फल-फूल नहीं सकते। खेती सूख जाती है। बाग और बाग के पुष्प मुरझा जाते हैं। आकाल के आसार दिखाई देने लगते हैं।
उल्लेखनीय है कि आधुनिक मशीनी युग में भी कामगारों का महत्व उतना ही है, जितना पहले था। अतः बिना कामगारों के उद्योग-धन्धे ठप्प होना स्वाभाविक एवं सम्पूर्ण सत्य है। क्योंकि सर्वविदित है कि विकास और समृद्धि के आधार कामगार ही होते हैं।
#इंदु भूषण बाली