रामलाल बा साब – उम्र 70 वर्ष
चतरू – उम्र 40 वर्ष
फेकू – उम्र 25 वर्ष
व्हाट्सएप ग्रुप – सकल पंच बिरादरी समाज
एक गांव – अनाम
होंगे कोई डेढ़ सौ दो सौ घर गांव में,सभी समाज के लोग रहते हैं,अधिकतर पक्के मकान है ,लगभग सभी सुविधाएं सड़क ,पानी,बिजली,स्कूल, 4G मोबाइल आदि.
सुबह का समय यही कोई 10:00 बजे
[रामलाल बा साब घर के बाहर बने चबूतरे पर बैठे थे।धूप सेक रहे थे।चतरू उधर से निकला।बा साब ने आवाज दी]
बा – चतरू …..ओ चतरू,इनंग तो आ
चतरू – कई केरिया रामलाल बा
बा – ले आ बीड़ी पी ले
[दोनो बीडी पीने लगते है]
चतरू – कई तमारो नोतो निमंत्रण कालू दा के यां से आओ की नी ।ओका छोरा को ब्याव है।आज जीमने को हे।
बा – म्हारे नी मालम। छोरा से पूछू
[बा ने बेटे को आवाज दी]
बा – छोरा ….कई कालू का छोरा को ब्याव है ।ओका घर से चिट्ठी पत्री या नाई बुलव्वा आयो थो। आज तो जीमने को है ।
[अंदर से आवाज आई]
नहीं…कोई नहीं आयो…बउ भी मना कर री है…नी आओ कोई
बा – हो जदे….ए चतरू, हमारा यां तो कई नोता की खबर नी है।
चतरू – कालू ने गांव में कोई-कोई दो चार खास-खास घर चिट्ठी दी है। और तो मोबाइल पे अपना समाज को ग्रुप सकल पंच बिरादरी समाज ग्रुप पर पत्रिका को फोटो खींचकर डाल दियो और लिखो है ।सकल पंच बिरादरी समाज,अनाम गांव
बा – एसो केसों नोतो …….मोबाइल की चिट्ठी में कौन-कौन को नाम लिखियो है।
चतरू – यो मोबाइल म्हारा पास हीं है। एमे तो व्यक्तिगत तो नाम कोई भी नहीं है। बस लिखियो है सकल पंच बिरादरी समाज ,गांव अनाम
बा – कल परसों कालू भी निकलियो थो । उसे मैंने राम-राम करी थी। उन्हें भी करी थी। और ओने तो कई नी की।
[बा साब ने बीड़ी बुझाई]
बा साब – अरे अब तक तो कारट,चिट्ठी आती थी ।नाई को बुलाओ भी आतो थो। तब जाकर नोतो मानता था ।और अब लोग होन के कनाकई हो गयो। अरे कम लोग के जीमने बुलाओ तो कम के बुलाओ। हैसियत नी है। तो छोटो काम करो या माथाउतारनी तो मत करो ।लोग ऐके समझे तो कई समझे…..हम तो नी जाएगा जीमने
[उधर से फेकू मोटरसाइकिल पर निकला । उसने दोनों को बैठे देखकर मोटरसाइकिल खड़ी करके आकर बैठ गया]
फेकू – कई कालू दा के यहाँ ब्याव में जावगा के नी।निमंत्रण तो है,व्हाट्सएप पर।
बा साब – हम तो नी जायंगे। कोई सम्मान से बुलाए, तो जाएगा। आखा गांव में, बिरादरी में कहने में डेढ़ दो घंटा लगे। इत्तो भी नी कर सको तो ,करोगा कई। ऐसे में तो कोई नकटो ही जायगो ।
फेकू – बा साब । तम तो हो गया पुराना। पुरानी बात गई ।अब तो मोबाइल को जमाना है ।सारों काम ऐसे ही होई है।
चतरू – रामलाल बा सही के रिया है। थारे तो मान सम्मान को ख्याल है ही नी। थारे तो कोई शाम के समय पूरी सब्जी बची हो और थारे जीमने में बुलाए तो तू चल्यो जाए। थारे मालम ……थारा पड़ोसी चंपतलाल के यहां ब्याव में थारा दायजी ,मंडप के दिन सारा दिन काम करवाता रीया था। पावणा होन के रोटी भी मेली थी। पर चम्पातलाल ने उनसे रोटी खाने की नी बोली। कई मालूम चम्पातलाल गेलयो भूल गयो । तो थारा दायजी जी ने घर जाकर चुपचाप रोटी खाली और फिर काम करवाने चल्या आया।
बा साब – अरे गेल..मूत। थारे जानो हो तो जा ।बाहर गांव के लिए मोबाइल पर हो ,तो एक बार चल भी जाएं। की आदमी गांव-गांव नोतो देने कैसे जायगो। पर गांव का गांव में…यां तो बात कई जची नी। मान सम्मान से बुलाओ तो जाएगा। अपना घर में भी रोटी है वही खा लांगा।
फेकू – पर कई कई लोग तो असो करें कि मोबाइल का ग्रुप में पत्रिका पे एक दो आदमी को नाम लिखकर डाल दे।
चतरू – तो आखा गांव के मालूम पड़ जाए कि उनने तो इन एक दो आदमी के ही बुलाया है ।बाकी तमे नी बुलाया है ।तम खाने मत जाजो।भारी बेईज्ज़ती है या तो।
बा साब – परजात के घर घर नोतो देने जाए ।क्योंकि ग्रुप पे वे लोग तो है नहीं। और जात कोशिश बुलाने को ढंग है नही। हिंदू -हिंदू की बात करें। कैसे जुड़ेगा लोग। जब समाज को जोड़ने को चाव ही नहीं है। पहले समाज को तो जोड़ लो ।
●कोई स्थानीय व्यक्ति ,व्हाट्सएप ग्रुप पर आपका निमंत्रण को स्वीकार कर लेता है और आपके यहां आ जाता है तो यह मत समझना कि वह भूखा मरता है ।वह आपसी रिश्तों को जिंदा रखना चाहता है।
निमंत्रण करे-सम्मान का ध्यान रखे।
अजय राठौर
अध्यक्ष
राठौर क्षत्रिय समाज, कुरवार मंडी
सदस्य – रोटरी क्लब कुरवार।
9893289431
ajay02rathore@gmail.com