कविता – सीख लें राम से

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त्रेता युग के प्रणेता से
सीख मानव जीवन युद्ध लड़ना
सीख राम से त्याग का अर्थ
प्रश्न नहीं, शंका नहीं, संकोच नहीं
मात-पिता, गुरुजन का आदेश सिर माथे धरना
सीख राम से सहर्ष वचन निभाना
जीवन युद्ध में सही समय पर तीर चलाना
गुरू की वाणी, बड़ों की शिक्षा, कुल मर्यादा रखना
मन में विश्वास, सहज भाव से रिश्तों को निभाना
ऊँच-नीच, जात-पात, वर्ण भेद सब व्यर्थ
शबरी, केवट, अहिल्या, जटायु, गिलहरी
सब को अपने हृदय बसाते हैं वो राम
शिव के भक्त, प्रकृति के संरक्षक
युद्ध कला के कुशल धुरंधर अजेय हैं राम
रीति, नीति, धर्म, मैत्री, देश, राज्य उत्थान खातिर
निज सुख-दुःख, भूल धर्म मार्ग पर चलना
अखंड देश, अखंड न्याय, अखंड आस्था रखना
मर्यादा में रह सदा प्रेम, प्रीत और जंग करना
भीतर के रावण को मार, राममय बनना
त्रेता युग के प्रणेता से
सीख मानव जीवन युद्घ लड़ना।।

#‌डाॅ. नीना छिब्बर
जोधपुर, राजस्थान

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।