धरती का कण–कण बोल रहा भारत की माटी पुलकित है,
बहु प्रतीक्षित पल जननी का आज अवध भी हर्षित है।
रोम–रोम मेरे भारत का अंतर्मन में गूँजे राम,
प्राण–प्रतिष्ठा अवध में होगी नैना जब होंगे अभिराम।।
अवधपुरी है सूर्यवंश के मान और सम्मान की
रामलला की जन्मभूमि यह सनातनी अभिमान की।
दुर्दशा गजनी के वंशज भारत की क्यों करते हैं,
देव निर्वासित देख हर जन के अश्रु नैना रोते हैं।।
खण्ड–खण्ड मंदिर अवशेषी तंबू में थे रामलला,
सत्य सनातन रामभूमि को जब अपनों ने ख़ूब छला।
राजनीति के कुशल चितेरे, जो राम को कल्पित कहते हैं,
अंत समय मृत्यु शैया पर राम धुन संग जलते हैं।
फिर काहे ये प्रश्न अनुचित सियासती के लाभ की,
क्यों मर्यादा हरते ये कपटी भारत के गौरव लाज की।।
हर इक राष्ट्र की अपनी बोली अपना स्वाभिमान है,
जय हिंदी माँ भारती में सत्य ही राम नाम है।
राम ही हैं आधारशिला इस मनु संस्कृति को लायेंगे ,
प्राण प्रतिष्ठा राम लखन फिर अवध में पूजे जाएँगे।।
#मधु सोनी ’मधुकुंज’
आलीराजपुर