हिन्दी गौरव पद्मश्री अभय छजलानी जी नहीं रहे

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इंदौर । शहर और हिन्दी के गौरव, हिन्दी पत्रकारिता में जनसुलभ अध्याय, नईदुनिया के वर्षों तक प्रधान रहे, वरिष्ठ पत्रकार, पद्मश्री अभय छजलानी जी का देहावसान आज गुरुवार को सुबह हो गया। अंतिम संस्कार आज शाम 5:00 बजे रीजनल पार्क मुक्तिधाम, इंदौर पर होगा। लंबे समय से अस्वस्थ थे अभय जी।

माँ अहिल्या की नगरी इंदौर में छजलानी परिवार में 4 अगस्त 1934 को जन्म लेने वाले आदरणीय अभय छजलानी जी ने हिन्दी पत्रकारिता की नर्सरी माने जाने वाले अख़बार ‘नईदुनिया’ को वटवृक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाई।
आपने वर्ष 1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। 1963 में कार्यकारी संपादक का कार्यभार संभाला। बाद में, लंबे अरसे तक आप ‘नईदुनिया’ के प्रधान संपादक भी रहे। वर्ष 1965 में पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ (यूके) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र से इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले आप पहले पत्रकार थे। परिवार में पत्नी पुष्पा छजलानी (कुछ समय पहले देहावसान हो गया), पुत्र विनय छजलानी और पुत्रियाँ शीला और आभा हैं।
हिन्दी पत्रकारिता के कर्मठ सूत्रधार, जिनके नेतृत्व ने भारतीय पत्रकारिता जगत को कई मूर्धन्य संपादक सौंपे, जिनमें राजेन्द्र माथुर जी, राहुल बारपुते जी, प्रभाष जोशी जी, शरद जोशी जी आदि हैं, ऐसे शिखर कलश अभय जी को वर्ष 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
हिन्दी पत्रकारिता की कोंपलो को आपने बहुत करीने से सहेजकर पल्लवित होने में मदद की। आपने कई किताबें भी लिखी हैं जो एक दस्तावेज़ है।

वर्ष 2020 में मातृभाषा ने हिन्दी गौरव अलंकरण से किया अलंकृत

‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ द्वारा वर्ष 2020 में आपको ‘हिन्दी गौरव अलंकरण’ से विभूषित किया गया। संस्थान ने पहला हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह इंदौर में आयोजित कर अभय जी को अलंकृत किया था।


अभय जी वर्तमान में नईदुनिया के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के अलावा कई महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व भी निभा रहे थे। अभय छजलानी भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। वे 1988, 1989 और 1994 में संगठन के अध्यक्ष रहे। वे इंडियन न्यूज़ पेपर सोसायटी (आईएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे। 2004 में भारतीय प्रेस परिषद् के लिए मनोनीत किए गए, जिसका कार्यकाल 3 वर्ष रहा। उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वे दुनिया के कई महत्त्वपूर्ण देशों की यात्रा कर चुके हैं, जिनमें सोवियत संघ, जर्मनी, फ़्रांस, जॉर्डन, यूगोस्लाविया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, थाईलैंड, इंडोनेशिया, तुर्की, स्पेन, चीन आदि शामिल हैं। 1995 में मप्र क्रीड़ा परिषद् के अध्यक्ष बने। ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग एंड फ्रेटरनिटी द्वारा वर्ष 1984 का गणेश शंकर विद्यार्थी सद्भावना अवॉर्ड वर्ष 1986 में राजीव गाँधी ने प्रदान किया। पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1997 में जायन्ट्स इंटरनेशनल पुरस्कार तथा इंदिरा गाँधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार मिला था।
छजलानी को इंदौर में इंडोर स्टेडियम अभय प्रशाल स्थापित करने के लिए भोपाल के माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने सम्मानित किया था। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए ऑल इंडिया एचीवर्स कॉन्फ्रेंस ने दिल्ली में 1998 में राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्रदान किया। साथ ही, इसी वर्ष लालबाग ट्रस्ट इंदौर का अध्यक्ष बनाया गया।

आप मध्य प्रदेश टेबल टेनिस संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा अभय जी ने शहर के कई ख़ास मुद्दों को भी उठाया। आप इंदौर दैनिक नई दुनिया के पूर्व मुख्य संपादक भी रह चुके हैं। साथ ही, इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष थे, इसके लिए उन्हें 2002 में चुना गया था।
साथ ही, उन्होंने सोसायटी की कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में भी सेवा की है। वह इंदौर में एक सामाजिक संस्था अभय प्रशाल के अध्यक्ष भी थे।

23 मार्च 2023 को अभय छजलानी जी ने आखिरी सांस ली, उनका अंतिम संस्कार शाम 5 बजे रीजनल पार्क मुक्तिधाम, इंदौर पर होगा।

अभय जी के निधन पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक राजकुमार कुम्भज, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ नीना जोशी, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितेश गुप्ता, भावना शर्मा, प्रेम मङ्गल, सपन जैन काकड़ीवाला सहित इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, विचार प्रवाह अध्यक्ष मुकेश तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रघुवंशी, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अमित मौलिक, अंशुल व्यास, जलज व्यास, सुरेश जैन इत्यादि ने श्रद्धासुमन अर्पण किए।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।