समय की रेत, घटनाओं के हवा महल …!!

0 0
Read Time5 Minute, 25 Second

समय की रेत, घटनाओं के हवा महल …!!

तारकेश कुमार ओझा

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है, मातृभाषा.कॉम का नहीं।

बचपन में टेलीविजन के पर्दे पर देखे गए दो रोमांचक दृश्य भूलाए नहीं भूलते। पहला  क्रेकिट का एक्शन रिप्ले और दूसरा पौराणिक दृश्यों में तीरों का टकराव। एक्शन रिप्ले का तो ऐसा होता था कि क्रिकेट की मामूली समझ रखने वाला भी उन दृश्यों को देख कर खासा रोमांचित हो जाता था। जिसे चंद मिनट पहले हकीकत में होते देखा था। एक्शन रिप्ले में दिखाया जाता … देखिए यह बल्लेबाज किस तरह रन आउट हुआ। बहुत ही आहिस्ता – आहिस्ता दिखाए जाने पर पहले देखा गया दृश्य बड़ा ही रोचक और रोमांचक लगता। अगर कहा जाए कि तब की पीढ़ी में क्रेकिट को लोकप्रिय बनाने मे्ं इस एक्शन रिप्ले का बहुत बड़ा योगदान था, तो गलत नहीं होगा। इसी तरह पौराणिक दृश्यों में दो योद्धाओं के बीच होने वाला तीर – धनुष युद्ध भी बड़ा रोमांचक लगता था। तब शायद गिने – चुने टेलीविजन ही रंगीन रहे होंगे। हम देखते हैं कि एक योद्धा ने अपनी कमान से एक तीर छोड़ा। थोड़ी देर में उसके प्रतिद्वंदी ने भी तार दागा। दोनों तीर आपस में मिले। मानो एक – दूसरे की ताकत को तौल रहे हों और एक झटके में कम ताकतवर तीर हवा में ओझल होकर परिदृश्य से गायब हो गया। करीब घंटे भर के सीरियल में यह दृश्य बार – बार दिखाय जाता। आज दैनंदिन जीवन में कुछ इसी प्रकार घटनाओं का टकराव देखता हूं तो अचरज होता है। इस टकराव के चलते एक घटना हावी हो जाती है तो दूसरी परिदृश्य से पूरी तरह से गायब। राजनीति की बिसात पर यह खेल  कुछ राजनेताओं के अनुकूल बैठता है तो किसी के गले की फांस बन जाता है। अब देखिए ना… देश के सबसे बड़े सूबे में चाचा – भतीजा विवाद का मामला तूल पकड़ने  से पहले राष्ट्रीय परिदृश्य पर  कुछ दूसरे मसले सुर्खियों में थे। लेकिन चाचा – भतीजा प्रकरण ने सभी को पीछे धकेल दिया। कुछ दिनों तक जब भी टेलीविजन खोलो बस चाचा – भतीजा संवाद ही देखने को मिलता। कभी बताया जाता कि नाराज चाचा मुंह फुला कर बैठे हैं। वे नेताजी की भी सुनने को तैयार नहीं।

लेकिन फिर बताया जाता कि एक समारोह में चाचा – भतीजा प्रेम से गले मिले और साथ बैठ कर खाना भी खाया। खबर देखते – देखते  ब्रेकिंग न्यूज चलती कि पहले से नाराज चल रहे चाचा तो कुछ नर्म पड़े हैं, लेकिन इस बात से एक दूसरे चाचा नाराज हो गए हैं। लेकिन यह क्या इस बीच भोपाल में जेल से भागे विचाराधीन कैदियों के मुठभेड़ में मारे जाने की घटना ने चाचा – भतीजा प्रकरण को वैसे ही नेपथ्य में धकेल दिया, जैसा पौराणिक दृश्यों में एक तीर दूसरे को हवा में ध्वस्त कर देता है। जब लगा कि  मुठभेड़ में कैदियों की मौत का मसला व्यापम की तरह राज्य सरकार के गले की फांस बन जाएगा तभी नोटबंदी मसले ने इस घटना को पूरी तरह से बेअसर कर दिया। लगा मानो सब इस  वाकये को भूल गए। नोटबंदी मसले के सुर्खियों में रहने के दौरान हुई ट्रेन दुर्घटना ने कुछ समय के लिए इस मसले को परिदृश्य से गायब करने में योगदान दिया। लेकिन फिर बोतल के जिन्न की तरह यह बाहर निकल आय़ा। फिलहाल पंजाब  में जेल से भागे आतंकियों व अपराधियों की फरारी और पकड़े जाने का मसला गर्म है।लगता है  समय की रेत पर बनने वाले घटनाओं के  ये हवा – महल भविष्य में बी राजनीति में खलबली मचाते रहेंगे और लाटरी के खेल की तरह किसी राजनेता के अनुकूल तो किसी के लिए  प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न करते रहेंगे।

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मोदी जी... आप 8 नवम्बर को सही थे या अब 29 नवम्बर को सही हैं..?

Wed Nov 30 , 2016
मोदी जी… आप 8 नवम्बर को सही थे या अब 29 नवम्बर को सही हैं..? कृपया  देश की जनता को बताएं… कालेधन के रद्दी कागज को नोटों के रूप में फिर जिंदा क्यों किया राजेश ज्वेल (9827020830) यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, […]
rajesh jwell , matrubhashaa

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।