यंग इंडिया चेंज मेकर अवार्ड 2019 से नवाजे जाएंगे डा. स्वयंभू शलभ

0 0
Read Time6 Minute, 27 Second

FB_IMG_15508501003017164

डा. स्वयंभू शलभ ‘यंग इंडिया चेंज मेकर अवार्ड 2019’ से नवाजे जाएंगे। यंग इंडिया फाउंडेशन द्वारा यह अवार्ड उन्हें  ‘कल्चरल एक्टिविज्म एवं सोशल रिफोर्मेशन’ हेतु प्रदान किया जाएगा।

इसकी घोषणा करते हुए यंग इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन विपुल शरण श्रीवास्तव ने कहा कि हमें गर्व है कि डा. शलभ सर जैसे व्यक्तित्व का सम्मान करने का अवसर प्राप्त होने वाला है। डा. शलभ की शख्सियत अपनेआप में एक संस्था के समान है।

डा. शलभ ने अपनी कलम को अपनी ताकत और सामाजिक सरोकार को अपना लक्ष्य बनाया। उन्होंने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किये। स्थानीय मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय मसलों पर भी खुल कर अपनी बात रखी।
भारत नेपाल सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए उन्होंने कई मुद्दे सरकार के सामने रखे जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री सहित विभिन्न  मंत्रालयों ने संज्ञान लिया, संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाये।

हाल ही में पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जयपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘आइसटीज’ में उन्हें सम्मानित किया गया। इससे पूर्व साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें ग्वालियर में आयोजित ‘साहित्य साधना संसद’ में सम्मानित किया गया था। देश के शीर्षस्थ साहित्यकारों के सान्निध्य में रहे डा. शलभ ने साहित्य जगत में भी ऊँचा मुकाम हासिल किया है। उनकी पाँचवी किताब ‘कोई एक आशियाँ’ का विश्व स्तरीय प्रकाशन भी पिछले वर्ष अमेजॉन द्वारा किया गया। उनके व्यक्तित्व में विज्ञान और साहित्य का अद्भुत समन्वय है।

पूर्व में जगतगुरु वामाचार्य पुरस्कार, पीठाधीश पुरस्कार व दीर्घ सेवा पदक से सम्मानित डा. शलभ को अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा, भूटान, कलवार कल्याण समिति, वीरगंज, अखिल भारतीय ब्याहुत कलवार महासभा, पटना, हरि खेतान बहुमुखी कैंपस, वीरगंज, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू, ठाकुर राम बहुमुखी कैंपस, प्राध्यापक संघ, वीरगंज समेत कई सामाजिक, शैक्षणिक व साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है।

श्री विपुल ने बताया कि डा. शलभ को यह अवार्ड पटना के सत्यम इंटरनेशनल में आयोजित होने वाले भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा।
इस मौके पर अलग अलग क्षेत्र से चुने हुए उन विशिष्ट व्यक्तियों को भी सम्मानित किया जाएगा जो देश और समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।

#डॉ. स्वयंभू शलभ

परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दबा के रखो न दिल में सवाल जो भी हो

Fri Mar 1 , 2019
दबा के रखो न दिल में सवाल जो भी हो कि चारागर से न छुपेगा हाल जो भी हो ========================== इश्क जब हो ही गया है तब परवाह कैसी नतीजा इसका हिज्र या विसाल जो भी हो ========================== तू साथ है तो मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता मेरे बारे में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।