प्रकृति कहती हमको बचा कर,
जीवन धरा पर सरस बना लो।
वृक्षों का तुम रोपण करके ,
वसुधा माँ को खूब सजा लो।
सागर ,नदियाँ स्वच्छ बनाकर,
जीवन अपना निर्मल बना लो।
पीपल ,बरगद, नीम लगाकर,
ऑक्सीजन तुम भरपूर पा लो।
गिलोय ,तुलसी घर में लगा कर,
तन मन अपना स्वस्थ बना लो।
आंवला,हल्दी,अदरख, उगाकर,
आरोग्य वाटिका घर में बना लो।
जीव जन्तुओं को आश्रय देकर,
पुण्य थोड़ा तुम भी कमा लो।
वृक्षों का पालन पोषण करके,
खट्टे – मीठे फल तुम खा लो।
कुदरत को दिए हैं जो घाव हमने,
वृक्षारोपण का मरहम लगा दो।
रुठ गई है जो कुदरत हमसे,
आज मिलकर फिर से मना लो।
स्वरचित
सपना (सo अo)
जनपद-औरैया