बड़ी करिश्माई चीज़ है `औरत`,
जिसे देखिए वह कहता है
जिसे देखिए वह लिखता है,
हर कोई समझने की कोशिश करता हैll
कोई उलझी कहता है,
कोई सुलझी कहता है
कोई आंसू कहता है
कोई मोती कहता है
कोई अबला बनाता है
कोई शक्ति बनाता हैl
कहीं भोग्या,
कहीं त्याज्या
कोई अस्तित्व को बचाए,
कोई व्यक्तित्व को मिटाए
कहीं शेष,कहीं अवशेष
‘औरत’ विषय अशेष,,,, l
बस एक विषय बन के खड़ी,
नित नई अभिव्यक्ति
मुँह उठाए बढ़ी
छोड़ दो न उसे,
अपने हाल पर,,,,
इन्सान समझो उसे
क्यों कसते हो
बस कलम-कागज़ की
विसात परl
सम्मान की गुहार नहीं,
उसे सम्मान चाहिए
अपने वजूद का..
उचित स्थान चाहिए
उसे सहानुभूति की
पुचकार नहीं,
बस अपना
आत्मसम्मान चाहिएl
निवेदन मेरा यह आपसे,
इन्सान मैं भी हूँ,
मुझे विषय मत बनाइए
मेरे स्त्रैण को
मेरा मानवीय गुण समझिए,
इसे प्रतियोगताओं,मोर्चों
और दिवस की चर्चा मत बनाइए..
उसे इंसान रहने दीजिए
विषय मत बनाइए,,, l
———————-#लिली मित्रा
फरीदाबाद
परिचय : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने वाली श्रीमती लिली मित्रा हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभाविक आकर्षण रखती हैं। इसी वजह से इन्हें ब्लॉगिंग करने की प्रेरणा मिली है। इनके अनुसार भावनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य एवं नृत्य के माध्यम से करने का यह आरंभिक सिलसिला है। इनकी रुचि नृत्य,लेखन बेकिंग और साहित्य पाठन विधा में भी है। कुछ माह पहले ही लेखन शुरू करने वाली श्रीमती मित्रा गृहिणि होकर बस शौक से लिखती हैं ,न कि पेशेवर लेखक हैं।