कैसे मनाऊं मै आज ये होली,
रंग कर रहे हैं आज ठिठोली।
सीमा पर जो सैनिक शहीद हुए हैं,
तिरंगा ओढ़ कर जो घर आए हैं।
केसरिया सफेद या हरा रंग चढ़ाऊं
प्राणों की आहुति देकर जो आए है।
अब भी बोल रहे है भारत मां की बोली,
कैसे मनाऊं मै आज ये होली,
रंग कर रहे है आज ठिठोली।।
शहीदों की प्रतिमा जहा लगी हुई है,
धूल उन पर काफी जमी हुई है।
करता नहीं कोई उनको साफ जाकर,
अबीर लगाता नहीं कोई उनको जाकर।
पहनाता नहीं कोई फूलों की मोली
कैसे मनाऊं मै आज ये होली,
रंग कर रहे हैं आज ठिठोली।।
नेता राजनीति के रंग खेल रहे हैं,
अपनी अपनी सब वे पेल रहे हैं।
करते हैं वे नित्य नये घोटाले,
अपनी जेबें वे खूब भर रहे हैं।
लुट रही हैं जनता भोली भाली,
कैसे मनाऊं मै आज ये होली,
रंग कर रहे हैं आज ठिठोली।।
कोरोना कठिन दौर चल रहा है,
हर प्राणी उसको झेल रहा है।
फिर भी मास्क नहीं पहन रहा है,
मुख खोले हर जगह घूम रहा है।
कर रहा है अपने आप ठिठोली,
कैसे मनाऊं मै आज ये होली।
रंग कर रहे हैं आज ठिठोली।।
अब तो रंग मुझे फीके लगते हैं,
दिवाली के दीये भी बुझे लगते हैं।
कहीं रहा नहीं अब प्रेम उल्लास,
होली के रंगो में न रहा मिठास।
बेकार हो गई है रंगो की होली,
कैसे मनाऊं मै आज ये होली
रंग कर रहे हैं आज ये ठिठोली।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम