ब्रज में रंगों की हो रही बरसात
गोप- गोपिका मिल खेल रहे होली साथ
फाग मतवारौ
मधुबन में मस्ती लायो रे
बुड्ढों का बदला मिजाज फाग में
फाग उत्सव ऐसा, धुआं उठ रहा बुझती आग में
छाई मस्त बहार
दिल हुए जवां रे
बसंती रंगों के संग उड़े गुलाल
गोरी के लाल-पीले हो रहे गाल
खिले फूल पलास
चमक उठे चेहरे रे
प्यार-मोहब्बत संग मिल त्यौहार मनाओ
गिले-शिकवे, मन के मैल सब मिटाओ
पवन चली मस्त
होली आई-आई रे
त्याग-तपस्या का पैगाम अमर लाई होली
नशा त्याग, निर्मल हृदय से मनाओ होली
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
फतेहाबाद, आगरा