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कुछ मेरी भी सुनो हे विधाता
तुमने बनाया मुझे अन्नदाता
कड़ी मेहनत से करता हूं खेती
शरीर पर मेरे सिर्फ लँगोटी
महंगा हो गया फ़सल उगाना
फ़सल का मोल बहुत पुराना
पशुतर हालत, रोटी के लाले
खुशियों पर मेरी लगे है ताले
फ़सल की कीमत मिलती नही
जिंदगी चैन से कटती नही
कृषि बिल से दबेगा फिर किसान
आफ़त में आ गई उसकी जान।
#श्रीगोपाल नारसन
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