आलिंगन

1 0
Read Time41 Second

पृथक् थी प्रकृति हमारी
भिन्न था एक-दूसरे से श्रम
ईंट के जैसी सख़्त थी वो
और मैं था सीमेंट-सा नरम

भूख थी उसको केवल भावों की
मैं था जन्मों-से प्रेम का प्यासा
जगत् बोले जाति-धर्म की बोली
हम समझते थे प्यार की भाषा

प्रेम अपार था हम दोनों में मगर
ना जाने क्यों नहीं होता था हमारा मिलन
पड़ा प्रेम का जल ज्यों ही हम पर
सीमेंट संग ईंट सा हुआ दृढ़ आलिंगन

आलोक कौशिक
बेगूसराय(बिहार)

matruadmin

Next Post

हे विद्या की देवी

Sat Sep 19 , 2020
हे विद्या की देवी हिंदी तुझे पुकारता जग सारा तेरे शब्द भंडार है अतुल्य।। चारों तरफ आलोक है तेरा तीन रंगों की महिमा धारी वात्सल्य की सी मूर्ति खड़ी।। गुणगान करे शक्ति स्वरूपा का सरस्वती हिंदी काया छाया का कलमधारी न्यारी चित्रित रूपा का।। वंदन करे अब हर भारती अब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।