हिंदी बोली आज तुम औपचारिकता को निभा लो
लिखो हिंदी भाषा में आज कविताओं को सजा लो
एक फीकी हंसी लिए न जाने फिर हंसने लगी हिंदी
जाने दो मत एक दिन के लिए मुझे इतना सम्मानदो
बरसों बीते आजाद हुए मेरे मुल्क मेरे ही हिंदुस्तां को
अंग्रेजी खा रही है आज भी मेरे हिन्दी के गुलिस्तां को
अब तो अपने मुल्क में मैं मेहमान सी ख़ुद को पाती हूं
बस अब हिंदी दिवस के रूप में तारीख में छप जाती हूं
हिंदी बोली आज तुम भी औपचारिकता को निभा लो
लिखो हिंदी भाषा में आज तुम कविताओं को सजा लो
कटघरे में हूं खड़ी ना वकील है ना कानून मेरे साथ हैं
होने लगा है अब तो मुझे भी मेरी मौत का एहसास है
मत करो यूं कत्लेआम मेरा नहीं किसी की गुनहगार हूं
तड़प रही हूं आज इतना मातृभूमि से मांगती इंसाफ हूं
हिंदी बोली सुन मेरी व्यथा गर तुम सब हुए शर्मसार हो
दे दो अंग्रेजी को आहुति हिंदी मात्रृभाषा को सत्कार दो
लो संकल्प फिर कहो हिंदी हमारी पहचान हमारा गर्व है
उठाओ अपनी कलम हिंदी लिखकर हर पन्ना संवार लो
हिंदी बोली आज औपचारिकता से छुटकारा पा ही लो
लिखो हिंदी भाषा में अपनी कविताओं को तुमसजा लो
डेज़ी बेदी जुनेजा।