गीत ऋषि स्व.गोपाल दास नीरज जी का हिन्दी साहित्य में स्थान

0 0
Read Time5 Minute, 11 Second
Screenshot_20190720_130122
*भारत माँ के नयन दो हिन्दू मुस्लिम जान। नहीं एक के बिना हो दूजे की पहचान*
    गोपाल दास नीरज हिन्दी साहित्यकार शिक्षक एवम कवि सम्मेलनों के मंचों का एक बड़ा नाम था। उन्हें शिक्षा व साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने पदम् श्री व पदम् भूषण से सम्मानित किया।
हिन्दी फिल्मों में आपने कई गीत लिखे। गीतों के लिए  तीन बार फ़िल्म फेयर अवार्ड मिला।
  इटावा उत्तरप्रदेश के पुरावली गाँव में बाबू बृजकिशोर सक्सेना के घर जन्में नीरज के पिता का निधन 6 वर्ष की उम्र में हो गया था। 1942 से एटा से हाई स्कूल किया। टाइपिस्ट का काम किया।फिर सिनेमाघर की दुकान पर काम किया।दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नोकरी की। कानपुर के डी ए वी कॉलेज में क्लर्क बने। फिर बालक्ट कम्पनी में टाइपिस्ट बने।1949 में इंटरमीडियट किया।1951 में बी ए व 1953 में एम ए प्रथम श्रेणी से हिंदी में किया। मेरठ कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता बने। अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में प्राध्यापक रहे। कवि सम्मेलन में मंचों पर खूब प्रसिद्धि मिली। लोकप्रियता के चलते इन्हें बॉम्बे के फ़िल्म जगत में नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का प्रस्ताव आया। उसे स्वीकार कर लिया। पहली ही फ़िल्म में उनके गीत हर शख्स की जुबां पर आ गए”कारवां गुजर गया.. बहुत प्रसिद्ध हुआ। फिल्मों में गीत लिखने का सिलसिला चला तो रुका नहीं। उन्होंने जोकर शर्मिली प्रेम पुजारी फिल्मों के सुपरहिट गीत लिखे जो आज भी करोड़ो लोगो की जुबां पर है।
  बम्बई नगरी में उनका मन नहीं लगा वे वापस अलीगढ़ आ गए।
19 जुलाई 2018 के दिन उनका शरीर छूट गया। गीतों का राजकुमार हमें सदा के लिए छोड़ गया। लेकिन उनके गीत हमारे
 आज भी जहन में है।
  उनका शेर आज भी याद है “इतने बदनाम हुए जमाने मे लगेगी आपको सदियां भुलाने में न पीने का सलीका है न पिलाने का शऊर ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में।”
   संघर्ष अंतर्ध्वनि विभावरी प्राणगीत  दर्द दिया है बादर बरस गयो मुक्तकी दो गीत नीरज की पाती गीत भी अगीत भी आसावरी नदी किनारे लहर पुकारे कांरवा गुजर गया फिर दीप जलेगा तुम्हारे लिए नीरज की गीतिकाएँ प्रमुख हैं।
  उन्हें विश्व उर्दू पतिष्फ पुरस्कार पदम श्री सम्मान यश भारती एवम एक लाख रुपये का पुरस्कार। पदम भूषण सम्मान 2007 में सम्मानित किया गया था। उन्हें उत्तर प्रदेश में
   भाषा संस्थान का अध्यक्ष बनाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था।
  1970 में फ़िल्म चंदा और बिजली  1971 में फ़िल्म पहचान ,1972 में फ़िल्म मेरा नाम जोकर हेतु इन्हें तीन बार फ़िल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  भारत मे वे कौमी एकता स्थापित करने के पक्षधर रहे वे अपने दोहे में लिखते हैं” भारत माँ के नयन दो हिन्दू मुस्लिम जान।नहीं एक के बिना हो,दूजे की पहचान।।”
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

 मंदाक्रांता छंद

Sun Jul 21 , 2019
विधान~ [{मगण भगण नगण तगण तगण+22} ( 222  211  111  221  221 22) 17 वर्ण, यति 4, 6,7 वर्णों पर, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत] प्यासा मांगे , जलनिधि बड़ा , तृप्ति में सार देखो! तृष्णा लाई , बहुत गहरी , वासना धार लेखो ! तोलो मोती, चमक असली, चेतना […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।