मातृभाषा उन्नयन संस्थान :संक्षिप्त परिचय

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कटिबंध संस्था है l यह नए रचनाकारों को निशुल्क पहचान देने का काम कर रही है l वैसे रचनाकार जो बहुत अच्छा लेखन का कार्य कर रहें हैं तथा जिनमें सृजन करने की अद्भुत क्षमता मौजूद है, उनकी रचनाओं को निशुल्क मातृभाषा उन्नयन संस्थान प्रकाशित करती है l हिंदी को बढ़ावा देने के लिए यह संस्थान कई कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से कर रही है l नव रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें समय-समय पर पुरस्कृत भी किया जाता रहा है l अत्यल्प समय में इस संस्थान ने हिंदी हस्ताक्षर की मुहिम छेड़ी थी, जिसने संस्था से जुड़े सभी साहित्यकारों को हिंदी हस्ताक्षर के प्रति प्रेरित भी किया l लॉकडाउन के दरम्यान लोगों को घर पर रहने को प्रेरित करने के लिए ऑनलाइन कवि सम्मेलन का नियमित रूप से आयोजन किया जा रहा है l इसके अलावा पूरे देश भर के हजार से अधिक साहित्यकारों द्वारा संकल्प लिया गया, कि वे लॉक डाउन का सही से पालन करेंगे l लॉकडाउन में प्रतिदिन यह संस्थान अपने सदस्यों को लेखन हेतु प्रोत्साहित करने के लिए नए नए विषय लेकर आती है l साथ ही विषय आधारित लेखन करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है l कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री द्वारा किए गए लॉक डाउन की सराहना करने के लिए इस संस्थान ने पत्र लेखन कार्यक्रम का आयोजन किया था और यह विश्वास दिलाया कि रचनाकारों की बेहतरीन रचनाओं को प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया जाएगा और उन्हें एक पुस्तक का रूप भी दिया जाएगा l आज के समय में सभी प्रकाशक रचनाकारों की रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए एक मोटी रकम की मांग करते हैं, जिसके कारण कई अच्छे रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित होने से रह जाती हैं, वही मातृभाषा उन्नयन संस्थान सभी रचनाकारों की अच्छी रचनाओं को पुस्तक का रूप देने का कार्य कर रही है, वह भी निशुल्क l इससे अच्छी रचनाओं का संकलन अच्छी पुस्तकों में संभव हो पाया है l मातृभाषा उन्नयन संस्थान ना केवल नव रचनाकारों को प्रोत्साहित करने का काम कर रही है बल्कि यह हिंदी भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार का काम भी कर रही है l हिंदी के प्रचार प्रसार और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आने वाली बाधाओं पर एक चर्चा परिचर्चा का भी एक ऑनलाइन कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें सभी रचनाकारों को हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने से संबंधित समस्याओं से अवगत कराया गया तथा उन समस्याओं के निराकरण हेतु मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा किए गए प्रयासों का विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया l आज के समय में जब सभी धन के पीछे भागते हैं, वहीं यह संस्थान हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए कृतसंकल्प है l इसके लिए संस्थान द्वारा नियमित रूप से कार्य किया जा रहा है l अच्छे साहित्य का संकलन करते हुए लोगों को जागरुक कर हिंदी भाषा के महत्व, हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता, हिंदी भाषा के सामर्थ्य से सबको परिचित करा रहा है lइस संस्थान द्वारा हिंदी की सेवा हेतु किए जाने वाले कार्य सराहनीय है और लॉकडाउन में इस संस्थान ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया कि सभी रचनाकारों को घर में रहने के लिए ना केवल प्रेरित किया बल्कि उनसे यह संकल्प भी लिया कि वे लोग डाउन का पालन करें l यह संस्थान भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्प है और उसके लिए यह प्रयास कर रहा है l उच्चतम न्यायालय में हिंदी के प्रयोग के संबंध में पूछे जाने पर कि संस्थान ने बताया कि वह उच्चतम न्यायालय में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पदाधिकारियों से बातचीत कर रहा है, परंतु उच्चतम न्यायालय के कुछ वकीलों द्वारा इसका विरोध करने के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है l हिंदी के सामर्थ्य से अवगत कराने का कार्य यह नियमित रूप से पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करता रहा है जो कि सराहनीय हैl हिंदी भाषा के प्रति इस संस्थान की निष्ठा और आस्था रचनाकारों में हिन्दी के प्रति जागृत करने के साथ साथ प्रेम और एवं नव युवकों को हिंदी लेखन के लिए प्रेरित करने का काम कर रहा है l हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए इस संस्थान ने प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखा है l समय-समय पर गृह मंत्री से भी इस संबंध में बातचीत होती रही है l हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का आश्वासन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से प्राप्त कर चुका है
मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा बहुत ही अच्छा कार्य किया जा रहा है l मेरे विचार से अच्छे साहित्य का ण केवल संकलन बल्कि उस साहित्य को रचनाकारों तक पहुंचाया जाए, तो और भी इसकी ख्याति में वृद्धि होगी l देश भर से बहुत सारे सदस्य इस संस्था से जुड़ेंगे l हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, परंतु बहुत सारे लोग सही मंच का चयन नहीं कर पाने के कारण सही ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाते हैं, वैसे रचनाकारों को जोड़ने के लिए इस संस्थान के सदस्यों को कृतसंकल्प होना होगा, तभी हमें और अच्छी अच्छी रचनाएं प्राप्त होंगीl साथ ही साथ मुझे लगता है कि इस संस्थान द्वारा स्कूली छात्रों को भी जोड़ा जाना चाहिए l इस दिशा में इस संस्थान द्वारा प्रयत्न किया जा रहा है l बहुत सारी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जो केवल स्कूली छात्रों के लिए ही है परंतु यह यह संदेश व्यापक रूप से पूरे भारत वर्ष के छात्रों को नहीं मिल पा रही है l यदि संपूर्ण भारत वर्ष के नवयुवकों तक इस संस्थान की पहुंच बन जाए तो मुझे लगता है इस संस्थान को प्रतिवर्ष सैकड़ों स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन के लिए विषय सामग्री उपलब्ध हो जाएगी और पैसे कमाने वाले प्रकाशकों का धंधा मंदा पड़ जाएगा l यह संस्थान शुरू से ही इस दिशा में कार्य कर रही है और साथ ही साथ लोगों को जागरूक भी कर रही है कि वे अपनी रचनाओं को कहीं भी पैसे देकर ना छपावाए बल्कि यदि उसमें सामर्थ्य है और रचनाएं उत्कृष्ट कोटि की है तो उनका प्रकाशन अच्छे प्रकाशकों द्वारा करवाएँ, जो निशुल्क प्रकाशन करते हैं l इस संस्थान ने प्रकाशकों के प्रकाशन और भोले भाले रचनाकारों को लूटने के धंधे का भंडाफोड़ किया है, परंतु अब भी बहुत सारे रचनाकार वैसे प्रकाशकों के चंगुल में है, जो पैसे देकर पुस्तकों को प्रकाशित करवाते हैं उन तक यदि यह संस्थान अपनी पहुंच बना ले तो यह हिंदी के बहुत बड़ी सेवा होगी l


डॉ मनीला कुमारी

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धोखा

Tue Jul 21 , 2020
अब वह बूढ़ा आकाश की ओर ताक रहा था, जहां उसे दिन में तारे नजर आ रहे थे। -सुरेश सौरभ लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) Post Views: 377

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।