ये दुराचार कब खत्म होगा ?
कब तक बेटियाँ असुरक्षित रहेंगी
मासूम बेटियाँ कब तक
इन दरिन्दों का शिकार होती रहेंगी?
लगता है हर जगह हैवान घूम रहे है।
जो बालाओं का अपहरण कर रहे हैं
दुष्कर्म कर रहे हैं
नोच – नोचकर खा रहे हैं।
क्या बेटियाँ घर से बाहर न जाए
स्कूल न जाए आखिर कब तक?
कब तक वे पीड़ा सहेंगी ?
उनके हिस्से की पीड़ा
हम कम तो नहीं कर सकते
जो भोगा है उन्होंने
उसे मस्तिष्क से
हटा नहीं ,सकते
आखिर कब तक ?
वे शर्म से मुँह छपाती ऱहेंगी
कब तक दर्द से कराहती रहेंगी ?
इन दरिन्दों को
फांसी क्यों नहीं देती सरकार?
सरकार कहती है
पर करती नहीं ही
सरकार की कथनी-करनी
कब एक होगी।
आखिर कब
दरिन्दों को फांसी होगी।
आखिर कब?
#आशा जाकड़
इन्दौर (म.प्र.)