राहें हैं आनलाइन, बाहें हैं आनलाइन
आहें हैं आनलाइन, निगाहें हैं आनलाइन
ये भी है आनलाइन, वो भी है आनलाइन
तूं भी है आनलाइन, मैं भी हूं आनलाइन
जब सब है आनलाइन तो फिर कैसी दीवार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
ह्वाटसप का देखो जमाना है आया
आओ आनलाइन उसने हमसे बताया
प्रेषित करें संदेश हो कोई शिकवा या गिला
संदेश देख उसका दिल को सुकूं मिला
दिन रात सुबहो शाम अब संदेश देखूं यार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
घरवाले भी न जाने कि क्या कर रहे हैं हम
कब कह दिया कि प्यार बहुत करते हैं सनम
गर फोन काल करते तो फिर जान जाते सब
इस बात का बिल्कुल भी नहीं डर रहा है अब
मां बाप के ही सामने कर देते हैं इजहार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
करती है विडियो कालिंग और मुस्कुराती है
मिलने की आस दिल में वो ऐसे जगाती हैं
जादू की झप्पी दे कभी देती है फ्लाइंग किस
नेटवर्क हुआ गायब सब है टाय टाय मिस
नेटवर्क ने ही कर दिया अपना मिलन बेकार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
रातों में नींद खुलते ही हो जाय आनलाइन
फादर मदर डे भूला याद रहा वैलेंटाइन
आनलाइन का टाइम दिया था एक बजे का
देखा तो समय हो चुका था तीन बजे का
आंखों की नींद हो गई थी अब तो तार तार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
खोलूं जो ह्वाट्सप तो उसका नाम टच करूं
ऊपर जो आनलाइन लिखा देखता रहूं
उसकी जगह जो टाइपिंग लिख देता है कभी
बस सोचता संदेश उसका आयेगा अभी
कुछ भी नहीं आया किया घंटों मैं इन्तज़ार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
खुश हो गई कभी तो उसने फोटो भेज दी
मैं सोचता ही रह गया रिप्लाई तेज दी
भेजा था जो संदेश वो देखी नहीं अभी
मैं देखता रहूं वो लाइन नीली हो अभी
हम ही नहीं लाइन में उसके हैं खड़े हजार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
वो कागज़ कलम दवात जमाना गुजर गया
खुशबू गुलाब का जो था खत में बिखर गया
मालुम नहीं चला कि कितनी जल्दी कल गया
“एहसास” हो रहा है जमाना बदल गया
ले जाने को ख़त अब न कबूतर यहां तैयार
आजा तू आनलाइन करूं तुझसे मैं प्यार ।।
अजय एहसास
सुलेमपुर परसावां
अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)