वैकुन्ठ नाथ गुप्त ‘अरविन्द’
कृष्ण में प्रीति ऐसी अचर हो गई।
सूर की साधना भी प्रखर हो गई।
आगरा से जो मथुरा को जाती सड़क।
रुनकता की ओ माटी अमर हो गई।
सूर तो सूर्य हैं ,शत नमन कीजिए।
उनके पथ पै सदा अनुगमन कीजिए।
कृष्ण लीला के अंधे चितेरे थे वे।
सूर सागर का नित आचमन कीजिए।
#वैकुण्ठ नाथ गुप्त ‘अरविन्द’
परिचय : वैकुण्ठ नाथ गुप्त ‘अरविन्द’ मौलिक रूप से गीत,कहानी,छन्द की सभी विधाओं में कविताएँ,लेख माँ वीणा पाणी की कृपा से लिखते हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में इनका प्रकाशन होता रहता है। कुछ समाचार पत्र में आपके व्यंग्य का स्थाई स्तम्भ भी प्रकाशित हो रहा है। आप फैज़ाबाद जिले के तेलियागढ़(उ.प्र.) में रहते हैं।