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हौसलें कुछ उड़ान की बात करते हैं
चलो आज आसमान की बात करते हैं
सोचता हूँ मूक जानवर का क्या होगा
क्यों न उस बेजुबान की बात करते हैं
खण्डर बना है वो घर यादें जुड़ी होगी
क्यों न उस सुने मकान की बात करते हैं
ढो रहा है बोझ वो मेहनतकश आदमी
क्यों न बढ़ते तापमान की बात करते हैं
गाँव की मिट्टी पंछी पेड़ ये नदियां
अपने खेत खलिहान की बात करते हैं
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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