न दिल की प्यास,
मेरी बुझती है।
न दिल को,
चैन मिलता है।
पर न जाने,
क्यों तुम्हारी यादे।
इस दिल से,
जाती नही है।।
कदम कदम पर,
तुम याद आते हो।
दिलकी गैहराइयो में,
क्यो समाये हो।
क्या रिश्ता है,
तेरा और मेरा।
एक बार सामाने,
आके बताओ तो तुम।।
कसम उस खुदा की,
जिसने तुझे बनाया।
और मोहब्बत को जगाने,
मेरे दिलमें क्यों आये।
दिलमें बसा लूंगा तुम्हें,
रानी बनाकर रख लूंगा।
पर ये तभी संभव है,
जब तुम सामाने आओगे।।
कब किससे कहाँ पर,
प्यार हो जाये।
और मोहब्बत का,
अंकुर पनाप जाए।
दिल है हमारा यारो,
किसी पर तो आएगा।
तो वो आप क्यों,
नही हो सकते हो।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)