जूते में बहुत गुण है,सदा राखिए पास।
शत्रु से ये बचाए,कोई न फटके पास।।
मैडम जूती राखिए,बिन जूती सब सून।
जूती नाये न उबरे,राज राजनीति के चून।।
पड़ जाए जूती प्रेमिका की,समझो अपने को निहाल।
जल्दी ही पड जाएगी,तुम्हारे गले में माल।।
औरत को न समझिए,पैर की जूती तुम यार।
अपने पर जब पड़ जाएगी,तुम्हे पड़े की मार।।
जूता जूती का पुरलिंग है,इसमें न दो राय।
जूती जब जूता बन जाए, पुरलिग
करे हाय।।
जूते की बड़ी महिमा है,देखो संसद में इसका खेल।
जब कोई बिल न पास कराना न हो,करो इसकी पेलम पेल।।
जयपुर कानपुर और कोल्हापुर,इसके
बड़े बाजार।
हर तरह की मिल जाएगी,सिर को पक्का रक्खों यार।।
बेलन चिमटा थे कभी पत्नी के हाथियार।
अब जूती बनी है उसका बड़ा हाथियार।।
रस्तोगी भी लिख रहा,जूते जूती पर अपने विचार।
इसको भी डर लग रहा कहीं पड न जाए इनकी मार।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम