जूते व जूती की महिमा

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जूते में बहुत गुण है,सदा राखिए पास।
शत्रु से ये बचाए,कोई न फटके पास।।

मैडम जूती राखिए,बिन जूती सब सून।
जूती नाये न उबरे,राज राजनीति के चून।।

पड़ जाए जूती प्रेमिका की,समझो अपने को निहाल।
जल्दी ही पड जाएगी,तुम्हारे गले में माल।।

औरत को न समझिए,पैर की जूती तुम यार।
अपने पर जब पड़ जाएगी,तुम्हे पड़े की मार।।

जूता जूती का पुरलिंग है,इसमें न दो राय।
जूती जब जूता बन जाए, पुरलिग
करे हाय।।

जूते की बड़ी महिमा है,देखो संसद में इसका खेल।
जब कोई बिल न पास कराना न हो,करो इसकी पेलम पेल।।

जयपुर कानपुर और कोल्हापुर,इसके
बड़े बाजार।
हर तरह की मिल जाएगी,सिर को पक्का रक्खों यार।।

बेलन चिमटा थे कभी पत्नी के हाथियार।
अब जूती बनी है उसका बड़ा हाथियार।।

रस्तोगी भी लिख रहा,जूते जूती पर अपने विचार।
इसको भी डर लग रहा कहीं पड न जाए इनकी मार।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।