तिरंगा ओढ़ करके देख,तेरा लाल आया है।
न प्राणों की फिक्र की,मातृ इज्जत को बचाया है।।
न रोना माँ मेरी वरना,तिरंगा भीग जाएगा।
तिरंगे के लिए ही हमने,जीवन को गँवाया है।।
लहू के रंग से जिसने,तिरंगे को सजाया है।
कफ़न में ओढ़कर अपने,तिरंगे को वो आया है।।
सुहानी शाम जिसने नाम,अपने देश के कर दी।
तिरंगे ने भी सज़दे में,अदब से सर झुकाया है।।
#पवन कुमार यादव
परिचय : पवन कुमार का जन्म 1991 में हुआ है और आप पिता के साथ कृषि करते हैं। शिक्षा में स्नातक हैं तथा नौकरीपेशा हैं। लेखन आपका शौक है,समय मिलने पर रचनाकार बन जाते हैं। साहित्य में रुचि रखते हैं।