गांधीनगर के आँगन मेंं महात्मा गांधी साहित्य सेवा संस्थान की ओर से गुजराती अॉनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ

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🌹’ ‘ गुलों का हश्र है खिलकर मूरझा जाना किन्तु उसका फ़र्ज भी है , चमन को महका जाना ‘ ‘🌹 संस्थाके सभी साथियों ने अपना धर्म निभाया । बधाई हो ! 🌹👏🏻 महात्मा गांधी साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्री डॉ गुलाबचंदभाई पटेल और सभी साथियों ने नींव रखी थीं तथा डॉ गुलाबचंद पटेल सर ने सातों मानदंड के अधिनायकों पर बुनियाद रखी बाकी सेना ने एकजुट होकर सहयोग किया बहुत ही सफलता पूर्वक कार्य को पार किया । सब अभिनंदन के अधिकारी हैं । 🙏 श्री रमेशभाई मुलवाणी ने आशिकी कर ली थीं उसी मोहब्बत का नतीजा यानी हमसब आश्वस्त हुए हैँ । भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती हैं । रमेशभाई आप बिना विचलित हुए अपने मकसद ओर डॉ गुलाबचंद पटेल सर के विश्वास पर खरे उतरे हैँ । कितनी , कैसी तारीफ करूँ ? आज शब्द मी आँख मिचौनी खेल रहें हैँ । गीता के कर्मयोग में कहा हैं कि ‘ ‘ जमीन औऱ कर्म की एक ही रीत हैं । जो बोया हैं वो ही बाहर निकलकर आता हैं ॥ ‘ ‘ आपकी साफगोईं का नतीजा बेहतर होगा ! ! ! धन्यवाद ज्ञापन मेंं जिस तरह से आपने गुलदस्ते को बिखेरा वह काबिले तारीफ था । अंततः आपने खुद के विश्वास को जीत लिया हैं 👍
चाँद औऱ सूरज अपने अपने समय पर चमकते हैं गोया कल एक ही साथ रौशनी देते नज़र आए …मेरी ओर से सभी सहयोगी दल को 🙏🌹🙏…👍डॉ सुरेश वी देसाई

१ मई गुजरात का जन्मदिन

गांधीनगर के आँगन मेंं महात्मा गांधी साहित्य सेवा संस्थान द्वारा प्रथम गुजराती अॉनलाइन कवि सम्मेलन आज रोज गुजरात स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सम्पन्न हुआ । कोरोना लोक डाउन की परिस्थिति में सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए डीजीटल मीडिया का बेहतरीन उपयोग किया गया|
🌹’ ‘ गुलों का हश्र है खिलकर मूरझा जाना किन्तु उसका फ़र्ज भी है , चमन को महका जाना ‘ ‘🌹

संस्थाके सभी साथियों ने अपना धर्म निभाया । महात्मा गांधी साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्री डॉ गुलाबचंदभाई पटेल और सभी साथियों ने नींव रखी थीं तथा डॉ गुलाबचंद पटेल ने सातों मानदंड के अधिनायकों पर बुनियाद रखी बाकी सेना ने एकजुट होकर सहयोग करके बहुत ही सफलता पूर्वक कार्य को पार किया । महात्मा गांधी साहित्य सेवा संस्थान के संयोजक श्री रमेश मूलवानी ने आशिकी कर ली थीं उसी मोहब्बत का नतीजा यानी कार्यक्रम की सफलता । भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती हैं । रमेश मूलवानी ने बिना विचलित हुए अपने मकसद ओर डॉ गुलाबचंद पटेल के विश्वास पर खरे उतरे । कितनी , कैसी तारीफ करें ? आज शब्द मी आँख मिचौनी खेल रहें हैँ । गीता के कर्मयोग में कहा हैं कि ‘ ‘ जमीन औऱ कर्म की एक ही रीत हैं । जो बोया हैं वो ही बाहर निकलकर आता हैं ॥ ‘ ‘

कार्यक्रम में कुल १११ व्यक्ति ओन लाईन रहें उनमें से ४० से अधिक काव्यों की प्रस्तुति हुई

रमेश भाई मुलवानि
सचिव
महात्मा गांधी साहित्य सेवा मंच
गांधीनगर
गुजरात

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।