वैसाखी के साथ ही नवीनता प्रारंभ हो जाती है बसंत की समाप्ति के साथ ग्रीष्म की शूरूआत नवीन फसल से खलिहान लबालब तो सूने होते खेत,नवीन फल, नवीन पुष्प, नये नये पक्षीयों का पानी की ओर पलायन, सूखी घास और टहनियाँ यही सब दिखने का महीना है यह वैसाख, जिसका पहला दिन पूरे देश में वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है।
यह देश के सभी राज्यों में अलग अलग नामों से मनाया जाता है।असम में “रोंगली बीहु”ओडिशा में “महा विश्व संक्रांति”पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में “पोहेला बोसाख” या “नाबा बारशा”आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में “उगाडी” तुलू लोगों के बीच “बिसू”कुमाऊं उत्तराखंड में “बिखू या बिखौती” तमिलनाडु में “पुथंडू” केरल में “विशु”पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश वैसाखी तथा बिहार झारखण्ड में “जुड़ शीतल” के नाम से मनाया जाता है।
नाम भले ही अलग अलग हो पर यह उत्सव किसानो के हर्षोल्लास और उनके खुशी को दर्शाता है। फसल की कटाई शूरू होती है और नवीन फसल को लेकर मन आनंदित रहता है। जिसे वे पर्व के रूप में मनाते हैं।सिख समुदाय के लिए दोहरी खुशी का दिन होता है इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना भी हुई थी और पंजाब हरियाणा में खेती भी खूब जम के की जाती है यह दोहरी खुशी वहाँ के लोग निराले अंदाज में मनाते हैं। सभी एक दूसरे के घर जाते खाते पीते नाचते गाते और एक दूसरे को नव वर्ष की बधाई देते हैं यह अदभूत है ।प्रायः ऐसे ही दृश्य पूरे भारतवर्ष में इस दिन होता है थोड़े बहुत भाषा पहनावे के अंतर के साथ।
ऐसा भी माना जाता है कि बैसाखी का दिन पारंपरिक हिन्दू नव वर्ष का पहला दिन है। इस दिन लोग नए साल का जश्न मनाते हुए मंदिरों में जाते हैं, लेकिन इस वर्ष लाकडाउन होने की वजह से ऐसा कर पाना संभव नही होगा घर पर रहकर ही यथा शक्ति तथा भक्ति कर प्रार्थना कर सकेंगे ,अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को शुभकामनाएं भेजेगे।
बिहार में “जुड शीतल” के नाम से मशहूर यह पर्व “शत्तू शतूआनी” के नाम से भी मनाया जाता है ।नवीन शत्तू के पकवान वासी भात और बड़ी दरवाजे पर रखा जाता है जिसकी विधिवत लक्ष्मी की पूजा होती है ।इस दिन से तुलसी पर पनशाला बनाकर पूरे महीने पानी डालने का भी प्रचलन है।साथ साथ लोग घर के बाहर यात्रियों के लिए पूरे महीने पीने का पानी का प्रबंध कर पानी बाँटने का कार्य करते हैं।ताकि प्यासा व्यक्ति पानी पीकर जुड़ा सके । इसलिए भी इसका नाम जुड़ शीतल पड़ा है।
यह महीना धर्म के लिहाज से बहुत पुण्य माना जाता है।जिसमें पानी का अहम योगदान है।इस समय पोखर नदी तालाब सूख जाते है पानी का लेयर नीचे चला जाता है सूर्य अपने ताप की चरम सीमा पर होते हैं ऐसे में पेड़ों को सींचना प्यासे को पानी पिलाना पशु पक्षी जीव जन्तु को पानी पिलाना पुण्य का काम माना गया है ।
इसलिए वैसाख में हर वह कार्य नया ही माना जाता है जिसकी शूरूआत ही नवीनता के लिए की जाती है चाहे वह फसल हो, पौधे हो, जीव हो, प्रकृति हो अथवा मनुष्य सभी का कुछ न कुछ नवीनीकरण के लिए ही इस वैसाखी के पहले दिन को जश्न के रूप मे मनाकर खुशी पूर्वक यह निश्चय करते है कि वे लोक कल्याण का कार्य पूरे महीने करते रहेंगे इसी का नाम वैसाखी है।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
पटना ( बिहार)
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति