एक गर्भस्थ कन्या शिशु की पुकार
माँ ओ। माँ
सुन रही हो न माँ!
मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं ।
मैं तुम्हें देख नहीं सकती ,
पर तुम्हारी कोख में पल रहीहूं।
जब मुझे छूती हो तो ख़ुशी से
फूल उठती हूँ माँ ।
मुझे बेटी समझ निकाल न फेंकना ,
तेरी ममता की गोद में खेलना चाहतीहूँ।
सबका प्यार पाना चाहती हू्ं ।
मुझे जन्म देगी न माँ?
मैं सरगम की तान हूँ,कोयल की कूक हूँ,
मैं गाऊँगी नाचूँगी धूम मचाऊँगी ।
तेरे सब दुख दर्द हर लूँगी ,
मैं तुमपे बोझ नहीं बनूँगी ।
तुम भी तो बेटी हो जानती ही हो,
बेटी अभि शाप नहीं,वह वरदान है ।
मैं भी तुम्हारी आन बान और शान बनूँगी
लोगों से कहना मुझे गर्व है अपनी बेटी पर ,
अपनी अंशिका पर ।
कहोगी न माँ?
#डा आशा श्रीवास्तव