करते है रक्षा अपनी और अपने लिए ही मरते हैं।
अपनों के सुख-दुख के खातिर वो सीमा पर लड़ते हैं।।
जान भले चले जाये लेकिन, आन-बान और शान रहे।
मतलब नहीं दुनियादारी से ,जिंदा हिंदुस्तान रहे।।
माँ-बेटी और पत्नी-बहन को छोड़ के ये चले आते है।
देश की रक्षा के खातिर वो दुश्मन से टकराते है।।
गर्व हमें अपनों से ज्यादा वीर जवानों पर होता है।
अपने खून-पसीने से वो भारत मां को धोता है।
याद में उनकी हम सब केवल, अब मेले लगवाते है।
एक दिन उनकी मना जयंती चरणों में शीश झुकाते है।।
इतना कर्ज है हम पर उनका,कैसे इसे चुकाएँगे।
वीर शहीदों की कुर्बानी को सम्मान दिलाएंगे।।
हर चौराहे, गली-मौहल्लों में मूर्ति लगवाएंगे।
वीर शहीदों के नामों से नए भवन बनाएंगे
जो भी हुए शहीद देशहित उनको वन्दन है मेरा।
*कारगिल विजय दिवस* आया सबको नमन है मेरा।।
कृष्ण कुमार सैनी”राज”
दौसा (राजस्थान)