कृषक कृंदन

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(सवैया छंद – भुजंग प्रयात)
मिला खून माटी उगाता हूँ दाना,यही साधना मैं इसी का पुजारी !
नहीं  धूप  देखूँ  नहीं छांव  देखूँ ,  पड़े पाँव  छाले  नहीं  है सवारी !!
मरूँ भूख से या चवा जाय कर्जा ,   नहीं रात देखूँ न  देखूँ  सवेरा !
न देखूँ उजाला न खाऊँ निवाला ,फिरूँ रात भागा यही काम मेरा !।
यहाँ कर्ज से कौन जीता कहाँ है ,यहाँ भूख से कौन हारा नहीं है !
न नेता न मंत्री न कोई मिला है ,पड़ा आन सूखा सहारा नहीं है !!
उगायी फसल जो हुए भाव मिट्टी, फसा बीच धारा किनारा नहीं है!!
न आसूं न आहें न कोई गिला है,  भले ही यहाँ पै गुजारा नहीं है !!
करूँ काम खेती नहीं भीख माँगूँ ,कुआ रोज खोदूँ  पिऊँ रोज पानी !
चिता लेट जाऊँ करूँ आत्म हत्या ,न दाना न पानी यही है कहानी !!
कभी ना मिला दाम पूरा हमें तो, नहीं झेलि जाती न भाती किसानी !
नहीं दोष मेरा नहीं बे इमानी ,      न आया बुढ़ापा जली ये जवानी !!
लुटा पाग मेरा किसानी लबादा ,   फटी पाग देखूँ कि वादा निभाऊँ !
लगाओ न नारा न झूठा दिलासा ,तु ही खेत खाया किसे ये बताऊँ !!
फसी नाव मेरी फिरूँ में बिचारा ,  फटी ऐक धोती न धौंऊँ सुखाऊँ !
कभी रोग खाये कभी बाढ़ आये ,  लुटा आसियाना कहाँ से बचाऊँ !!
जसवीर सिंह हलधर 
जन्म स्थान – गहना जिला बुलंद शहर उत्तर प्रदेश
वर्तमान निवास – देहरादून उत्तराखंड 
शिक्षा -बी ,एस, सी,कृषि,(ऑनर्स)एम,ए,(समाज शास्त्र)
संप्रति-भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत 
प्रकाशित पुस्तकें -1-शंख नाद(काव्य संग्रह) 2-अंतर्नाद(काव्य संग्रह) 3-काव्य गंगा(सांझा संकलन)
सम्मान व प्राप्तियां —
1-राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा2-हिंदी समिति द्वारा 3-ओ एन जी सी द्वारा 4 -एल आई सी द्वारा 5-शिखर सम्मान -पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी मेघालय द्वारा 5-राष्ट्रीय गौरव सम्मान -सद्भावना ट्रस्ट व राष्ट्र एकता परिषद द्वारा 6-पटेल सम्मान -पटेल नेशनल कालेज पटियाला द्वारा 7 -विभिन्न पत्र पत्रकाओं में कविताओं का प्रकाशन ,टी, वी ,चैनलों पर कविता पाठ ,मंचों पर कविता पाठ 
8.-काया कल्प साहित्य कला फाउंडेशन द्वारा साहित्य श्री सम्मान 
9-के बी एस  प्रकाशन दिल्ली द्वारा साहित्य गौरव सम्मान 
10- स्वदेशी जागरण मंच द्वारा सम्मान 
11- दून विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान 
12 -सिद्धार्थ लॉ कॉलेज द्वारा सम्मान
मेरा मत – कविता जन्म जात गुण है इसको मेहनत से परिष्कृत तो किया जा सकता है पैदा नही किया जा सकता है हिंदी की शिक्षा प्राप्त कर हम लोचक समालोचक तो बन सकते है लेकिन जन कवि वही बनता जिस  पर वीणा पाणी की असीम कृपा होती है ।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।