इन्दौर। सी ई पी आर डी (पर्यावरण विकास केंद्र) द्वारा शनिवार को कुंती माथुर सभागार में पर्यावरण केंद्रित साहित्य गोष्ठी में लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने पर्यावरण के प्रति आदर और समर्पण भाव से हृदय स्पर्शी रचनाओं का पाठ किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता ढोबले और संचालन संस्था के संयोजक सत्यनारायण मंगल ने किया।
इस गोष्ठी में शैलेन्द्र जोशी ने कटाक्ष किया “तू समंदर है पर बूंद काफी हूं मैं, तू तो खारा है पर प्यास बुझाती हू मैं।” रामनारायण सोनी की अत्यंत मार्मिक रचना ” सिलवटों के पार से कुछ अनकही बातें सुनाऊं,पांव के छाले छुपाकर जूती या ला कर दी उसे ,सुनाकर आंखे नम कर दी। अशोक द्विवेदी ने हमारी संस्कृति का बखान यू किया ‘सिंहो का करते अभिनंदन, सांपो को दूध पिलाते हैं। चंदन रोली कर पत्थर को भगवान बनाते हैं।’ राज संधेलिया ने आभार जताया “झुक झुक कर मीठे फल देते, चुभ चुभ कर पत्थर खाते पेड़।”
प्रारंभ में रविन्द्र ढोबले ने शास्त्रीय स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। संचालक सत्यनारायण मंगल ने “संतुलित भोजन” नामक लघु कथा सुनाकर समाज में व्याप्त गरीबी का मार्मिक चित्रण किया। उनके द्वारा संस्था के कार्यकलापों की जानकारी भी दी गई।
आयोजन में योगेन्द्र जोशी दैनिक अवंतिका, वरिष्ट कवि ओम उपाध्याय, ओम जोशी बब्बू, एम पी शर्मा आदि ने अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को समृद्ध किया। अंत में आभार दिनेश जिंदल द्वारा व्यक्त किया गया।