मनुष्य सबसे सुन्दर है प्राणी,
सबसे ही बोले बहुत मीठी वाणी।
देह तो है परिधान अपना,
वसुधा ही है इक रंगमंच अपना।
सत्यपथ पर चलते ही जाना,
जीवन को ना तुम मलिन बनाना।
कर्मों की शुचिता हो जीवन में सबकी ,
बने धन्य जीवन महिमा हो सबकी।
मनुष्य तो है पृथ्वी का तारा,
फिर क्यों ये जीवन हमने बिगाड़ा।
वात्सल्य तो है सुन्दर सी भावना,
होती नहीं जिसमे कोई भी कामना।
नारी तो धरती की छवि है निराली,
दिया जन्म सबको माँ है कहलाई।
वसुधा तो है इक परिवार अपना,
यह नाट्यशाला यथा कोई सपना।
आपस में भाई हैं सब इस जग में,
माता-पिता हैं जगदीश सबके।
#विनय अन्थवालरुद्रप्रयाग(उत्तराखण्ड )