आग देशभक्ति वाली…

3 0
Read Time3 Minute, 21 Second

ghanshyam sharma

आग देशभक्ति वाली…
आग देशभक्ति वाली, सीने में मेरे ज़िंदा है,
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं,
आग देशभक्ति वाली..
आग देशभक्ति वाली, सीने में मेरे ज़िंदा है,
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं।।

मन को कर ले सख्त…
मन को कर ले सख्त, रक्त आहुति तुझको देनी है,
भारत का तू भक्त, वक्त से छीन के खुशियांँ लेनी हैं।
बरसों से जो चिथड़े वाला, भूखा-भूखा ज़िंदा है,
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं…

देखा-देखी होड़ा-होड़ी…
देखा-देखी होड़ा-होड़ी, छोड़ के निज अंतर झाँको,
नए-नए अब यंत्र बनें, बस मंत्र यही सब तुम हाँको,
धरती पर भी मेड इन इंडिया, आसमान में परिंदा है।
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं…

विश्व-गुरु हो जा तू शुरू…
विश्व-गुरु हो जा तू शुरू, वही मान अब पाने को,
कसो कमर भारत के बच्चों, दुनिया पर छा जाने को,
ओलिम्पिक  में नीचे सबसे, अपने आप में निंदा है।
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं…

ऊपर वाला…
ऊपर वाला, ऊपर वालों को ही देता माया है,
नीचे वालों ज़ोर लगा लो, वक्त तुम्हारा आया है,
खुशियांँ सबको, चाहे कोई कितना नीचे पिंदा है।
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं…

आग देशभक्ति वाली सीने में मेरे ज़िंदा है ।
अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं ।
आग देशभक्ति वाली सीने में मेरे ज़िंदा है,
…सीने में मेरे…ज़िंदा..है..

#घनश्याम शर्मा*

परिचय-
नाम : घनश्याम शर्मा
पिताजी: – श्री श्रीराम शर्मा
माताजी: –  ‘माँ’ श्रीमती सुरेश देवी
निवास स्थान :- पिलानी, राजस्थान।
शिक्षा – एम.ए.(हिंदी, समाज शास्त्र , शिक्षा), बी.एड., एमबीए(ए), आरएससीआईटी, सीटैट, रीट,
एचटैट टीजीटी(दो बार), एचटैट पीजीटी(दो बार), यूजीसी नेट-जेआरएफ(दो बार)
रुचि: कविताएँ- कहानियाँ लिखना, संगीत सुनना, क्रिकेट, बैडमिंटन खेलना।
पता – भुवनेश्वर(ओडिशा)
प्रकाशित पुस्तकें :  1. ‘किसलय’ -2018
                            2. ‘मेरी रचना कोश’ -2019
                             3. ‘गुलदस्ता’ -2019
                             4. ‘काव्य-दर्पण’ -2019
  ( उपर्युक्त चार साझा-काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित) 
                              5.  ‘प्रतिश्रुति’ साझा कहानी-संग्रह मुद्रणालय में।

ओनलाइन प्रकाशन  :- kositimes.com  वेबसाइट पर  गीत  ” मैं गीतों की बस्ती का शहज़ादा…”  प्रकाशित।

संप्रति : केवि नं.- 4, भुवनेश्वर  में हिंदी स्नातकोत्तर शिक्षक पद पर कार्यरत।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

साहित्यिक पतन  

Mon Jun 3 , 2019
खुद ही छपवा कर खुद बेच रहे हैं कर हम सहित्य की देख रेख रहे हैं । फेसबुक,व्हाट्सप ट्वीटर के जरिए महफ़िलें और मुशायरे में पेश रहे हैं । एक से बढ़ कर हैं यहाँ मंच उप्लब्ध ओपेन माईक पर रोटियाँ सेंक रहे हैं । साझा संकलन,काव्य संग्रह के नाम […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।