#डॉ. मृदुला शुक्ला “मृदु”लखीमपुर-खीरी(उत्तरप्रदेश)
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काशी,काबा, तीर्थ है माता,
शुद्ध प्रेममयी स्नेहिल माता।
माता से नाता अति अनुपम,
सबसे प्यारी मधुरिम माता।।
मृदु पुष्पों से भरी मृदुलता,
दिनमणि जैसी भरी प्रखरता।
गंगाजल–सी है माँ पावन,
वाणी में अति भरी मधुरता।।
माँ की गोद में देव भी विह्वल,
मैया की ममता है अविरल।
सागर–सी गहराई है इसमें,
हिमगिरि-सा मृदु मन है अविचल।।
माँ के बिना नहीं फुलवारी,
माँ से महके क्यारी-क्यारी।
माँ-सन्तति का अनुपम नाता,
“मृदु” माँ पर जाए बलिहारी।।
महि-अम्बर से विशाल है माता,
सीधी, सरल, महान है माता।
सुर,नर,मुनि से वन्दित मां नित,
तीनों लोक में गर्वित माता।।
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